सनत कुमार बुधौलिया /इंदल प्रसाद खटीक
रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले की जांच कर रही ईडी ने गुरुवार को पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को अपनी हिरासत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया है। कवासी लखमा बुधवार की सुबह से पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर पहुंचे थे। ईडी ने लखमा कोर्ट में पेश किया जहां कोर्ट ने उन्हें 7 दिन के लिए ईडी की रिमांड में भेज दिया है। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने दावा किया है कि, कवासी लखमा को हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर दिए जाते थे।
सुनवाई के बाद कोर्ट से बाहर निकले वकील सौरभ पांडेय ने उपस्थित मीडिया को बताया कि, यह कार्रवाई 2 साल तक चली, जिसमें 36 महीने में प्रोसीड ऑफ क्राइम 72 करोड़ रुपए का है। ये राशि सुकमा में बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और सुकमा कांग्रेस भवन के निर्माण में लगी है। उन्होंने आगे बताया कि, गिरफ्तार अरुणपति त्रिपाठी और अरविंद सिंह ने पूछताछ में बताया था कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पास हर महीने कमीशन पहुंचता था। अरविंद सिंह ने बताया था कि, शराब कर्टल से हर महीने लखमा को 50 लाख रुपए दिए जाते थे। यही नहीं 50 लाख रुपए के ऊपर भी 1.5 करोड़ रुपए और दिया जाता था। इस हिसाब से 2 करोड़ रुपए पूर्व आबकारी मंत्री को हर महीने कमीशन के तौर पर मिलते थे।उन्होंने आगे कहा कि, आबकारी विभाग में काम करने वाले ऑफिसर इकबाल खान और जयंत देवांगन ने बताया कि, वे पैसों का अरेंजमेंट कर उनको भेजते थे। कन्हैया लाल कुर्रे के जरिए पैसों के बैग कलेक्ट किए जाते थे। यहां तक कि, कवासी लखमा ने खुद अपने बयान में यह माना है कि अरुण पति त्रिपाठी साइन करवाता था। ऐसे में उन्हें नॉलेज तो था कि कुछ चल रहा है। इसलिए इस मामले में इनका भी इन्वॉलमेंट साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।
वहीं सुनवाई के बाद बाहर निकले कवासी लखमा के वकील फैजल रिजवी ने भी मीडिया से कहा कि, उनकी गिरफ्तारी सबूत बनाने के बाद की गई है। अगर 2 करोड़ रुपए मिलने की बात वे कह रहे हैं तो बताएं कि, कवासी लखमा के घर से क्या मिला? छापे में कहीं से 20 हजार रुपए भी नहीं मिले हैं।