श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन सुनाया गया श्रीकृष्ण रासलीला का प्रसंग

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सनत कुमार बुधौलिया /हरिश्चंद्र तिवारी लौना 

कोंच।        तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम चमरसेना में मैथिलीशरण निरंजन के आवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन की कथा प्रारंभ करते हुए मात्र 9 वर्षीय कथावाचिका आशी किशोरी जी ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रासलीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पडा। रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए कथा व्यास ने कहा जब-जब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। कथा वचिका आशी किशोरी जी ने भगवान शंकर का रासलीला में शामिल होने का विस्तार से वर्णन किया। महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ।भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान कथा मंडप में विवाह का प्रसंग आते ही चारों तरफ से श्रीकृष्ण-रुक्मणी पर जमकर फूलों की बरसात हुई। कथावाचिका आशी किशोरी जी ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। इस दौरान आचार्य पंडित बालकिशुन अड़जारिया नौगांव छतरपुर सजा बाजपुर भूपेंद्र मधुकर, आशीष, राजू टिकरिया एवं कथा के आयोजक मैथिली शरण निरंजन के साथ सैकड़ों की संख्या में ग्रामवासी मौजूद है।

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