आर्टिफिसिशियल इंटेलिजेंस के सहारे ढगी का तरीका

अपराध

 

संजय दुबे 

संजय दुबे
16जनवरी 2024रात 9बजे sir ji के मोबाइल से एक फोन आता है पूर्व पुलिस महनिरीक्षक जी पी सिंह के नाम से। वे कहते है उनका कोई रिश्तेदार को अटैक आया है दिल्ली में डाक्टर के खाते में 30हजार रुपए जमा कराना है ।35 हजार रूपये मेरे फोन खाते पर जमा करा दिए है। मैसेज भी आ गया कि मेरे अकाउंट में 35000हजार रूपये आ गए है।
मैने उन्हे बताया कि मुझे फोन पे का ऑपरेशन नही आता इस कारण मैं पैसे नही दे पाऊंगा। इसके बावजूद बार बार काल कर कहने लगे कि मानवीयता के लिहाज से जमा कर दूं।
मुझे शक हुआ कि सिंह साहब पिछले तीन साल से बात नहीं कर रहे है और आज अचानक!
मेरे सोचते सोचते में 5- 6फोन आ गए। मिन्नत करने लगे थे किसी की जान बचाना है बिना पैसे के मर जायेगा। मैने इंकार कर दिया और फोन को प्लेन मोड में डाल दिया।
दूसरे दिन सुबह फिर काल आया। मैने बताया कि आपके भेजे पैसे नही आए है। वो बोले मैसेज तो आया है। मैने बताया कि अकाउंट ट्रांसफर नहीं हुआ है इस कारण नहीं दे पाऊंगा।
एक बात विशेष थी कि आवाज बिल्कुल जी पी सिंह की ही थी। रायपुर घर पर आ जाओ लेकिन पैसे जमा कर दो कहने लगे। माथा ठनक रहा था कि मुझसे कही ज्यादा संपन्न व्यक्ति 35हजार जमा कर 30हजार रूपये जमा करने के लिए इतना जोर क्यों दे रहा है।
मैने काउंटर अटैक कर अपने पहचान के व्यक्ति को जो मोबाइल नंबर पर पैसे जमा करने की प्रक्रिया को देखने के लिए कहा। मुन्नी बाई नाम आते ही समझ आ गया कि मामला ठगी का है।
फिर काल आया तो मुझे नाराज होकर बोलना पड़ा कि जी पी सिंह साहब मेरे बाजू में बैठे है। इतने के बावजूद सामने वाला बोल रहा था कि संजय, मैं मजाक नहीं कर रहा हूं। तुम्हारे अकाउंट में 35हजार भेजने का मैसेज है ना।
मुझे बताना पड़ा कि मैसेज का मतलब पैसा ट्रांसफर नहीं होता।
अंतिम शब्द थे तू तो होशियार है,हरमखोर।
इस बात को बताने का मकसद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए किसी की आवाज के माध्यम से ठगी करना है।
आपके मोबाइल में यदि आप मोबाइल पेमेंट का काम करते है तो सिर्फ मैसेज पर भरोसा न करे और न ही ऐसे मानवीय ब्लैक मेल के शिकार न हो

 

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