मरीजों के लिये किसी अभिशाप से कम नहीं चिकित्सकों के पास बैठे दलाल-

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रिपोर्ट धर्मेंद्र कुमार
नरैनी–आजकल इस मंहगाई के दौर में परिवार का पालन पोषण करने हेतु अटूट मेहनत के साथ साथ बेतहासा भागदौड़ करना शायद हर गरीब इंसान के लिये आज उसकी मजबूरी बन गयी है और यदि इस दौरान उसे किसी दुर्घटना अथवा बीमारी ने अपने चपेट में ले लिया तो फिर उससे मुक्ति पाने के लिये उसे किसी ना किसी अस्पताल का सहारा लेते हुये किसी चिकित्सक की मदद लेना भी उसकी मजबूरी है किन्तु यदि उसी चिकित्सक को किसी के दु:ख दर्द से ज्यादा आर्थिक कमाई का भूत सवार हो तो फिर वह अपने पास एक जिन्न रूपी दलाल पालता है जो कहीं इलाज के नामपर या फिर बाहरी मेडिकल स्टोरों के लिये लिखी जा रही दवाओं के नामपर खुलेआम कमीशनखोरी कर उस मरीज को सरेआम लूटने का काम करता है जिसका पूरा श्रेय उस चिकित्सक को जाता है और वह मरीज प्रशासनिक ब्यवस्थाओं से बंचित रहते हुये सरेआम लुटता पिटता नजर आता है जिसकी ब्यथा सुनने वाला शायद कोई नजर नहीं आता और मजबूरी वश उसे अटूट मेहनत से कमाये गये उस पैसे को इनकी भेंट चढ़ाना ही पड़ता है कुछ ऐसा ही एक मामला देखने को मिला बांदा जनपद के अंतर्गत ब्लॉक नरैनी में संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जहाँ पर इन दिनों मरीजों के साथ घोर अन्याय हो रहा है यहाँ पर डॉक्टरों के पास अंगद की तरह पैर जमाये बैठे दलालों की साठगांठ से अधिकतर चिकित्सक मरीजों को प्राइवेट दवाएं लिखते हैं, जिससे आर्थिक संकट से जूझ रहे गरीब लोग आयेदिन परेशान हो रहे हैं यहाँ पर फैली अराजकता इस बात का प्रमाण है की मरीजों के साथ यह सब खुलेआम होना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि यह स्वास्थ्य केंद्र पहले भी कई बार सुर्खियों में रह चुका है।जिसके प्रमाणीकरण के लिये एक ताजा मामले में यहाँ पर अपना इलाज कराने आये अखिलेश गुप्ता ने बताया की उनकी उंगली में चोट लग जाने से उसमें फ्रैक्चर हो गया था जिसके इलाज हेतु उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नरैनी में तैनात डॉक्टर लवलेश ने उस उंगली का एक्सरा कराने को कहा जिसका एक्सरा कराने के बाद डॉक्टर ने उन्हें अपने पास बैठे एक व्यक्ति को 700 रुपये देने के लिये कहा जो उनका प्लास्टर कर देगा उनकी इस बात से यह सवाल उठता है की क्या इस स्वास्थ्य केंद्र में किसी मरीज के फ्रेक्चर होने पर प्लास्टर की सुविधा नहीं है? और यदि वाकई नहीं, तो फिर उस डॉक्टर द्वारा बाहरी व्यक्ति से प्लास्टर कराने के लिए क्यों सिफारिश की जा रही है जोकि एक बहुत बड़ा सवाल है?अगर यह सुविधा नहीं तो उसे साफ़ इंकार करते हुये किसी अन्य चिकित्सक को दिखाने हेतु सलाह देना चाहिए ना की किसी प्राईवेट ब्यक्ति से इलाज कराने हेतु प्रेरित करना चाहिए जिससे ऐसे कारनामों से तो यह पता चलता है की डॉक्टरों का प्राईवेट लोगों को प्रोत्साहित करना कहीं किसी मिलीभगत का कारनामा हो सकता है तभी तो अपने कमीशनखोरी के लिए लोगों को बाहरी दवाएं लिख रहे हैं और एक प्लास्टर के लिए ऐसे प्राईवेट लोगों को पास बिठाकर उनकी आड़ में गोरखधंधे को खुलेआम अंजाम देते हुये उससे प्लास्टर करवाने की सिफारिश कर रहे हैं यह मामला जहाँ एक ओर स्वास्थ्य विभाग में चल रहे ऐसे कारनामों पर सवाल उठाता है वहीं दूसरी ओर मेहनतकश गरीब कहीं ना कहीं सरेआम लुटता नजर आ रहा है जिसकी शायद जांच करने की नितांत आवश्यकता है
तथा इस स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के साथ हो रहे ऐसेअन्यायपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होना अत्यंत जरूरी भी है जिसके लिये सम्बंधित विभागीय जिम्मेदार अधिकारियों के साथ साथ जिले की कमान सम्भाले प्रशासनिक आला अधिकारियों को इस मामले की जांच करनी चाहिए तथा ऐसे डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य विभाग में अपनी धाक जमाये प्राईवेट कर्मचारियों के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए ताकि गरीबों को मिलने वाली प्रशासनिक सुविधाओं का सम्पूर्ण लाभ मिल सके!
इसके अलावा, स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए जिससे की मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें और उनके साथ हो रहे अन्याय को रोका जा सकेगा।

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