संजय दुबे
भारत में दिल्ली से हरिद्वार राजमार्ग 334 पर जब आप सफर करते है तो लाभाग 80किलोमीटर क्लीन के बाद मेरठ शहर के बाहर बाहर हरिद्वार के लिए निकल जाते है। वैसे तो वर्तमान में खेल समानो का उत्पादक शहर और सोने के बड़े बाजार के रूप में स्थापित मेरठ शहर रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता मय दानव के राज्य मायापुरा और 1857 के गदर (क्रांति) के लिए विख्यात है। कारतूस में हिंदुओ के द्वारा गाय और मुस्लिमो द्वारा सुअर के मांस के बने कार्टियेज के नाम पर गदर हुआ था। ” दिल्ली चलो”नारा मेरठ की ही देन है।अब ये मेरठ लोकसभा चुनाव में चर्चे पर है।कारण भी है कि भाजपा ने मेरठ से मेरठ के ही अरुण गोविल को अपना प्रत्याशी बनाया है।
अरुण गोविल को देशवासी अरुण गोविल के नाम से रामायण धारावाहिक के पहले इसलिए जानते थे क्योंकि अरुण गोविल राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म “पहेली”और “सावन को आने दो” में नायक बने थे। फिल्मों में अरुण गोविल को उनकी भाभी तब्बसुम (फूल खिले है गुलशन गुलशन फेम) ने मौका दिलाया था। सावन को आने दो 2घंटे32 मिनट की फिल्म थी जिसमे 42मिनट का समय 10गानों में निकला था। “चांद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा”,
“तुम्हे गीतों में ढा लूंगा सावन को आने दो”,” तुझे देख कर जग वाले पर यकीं नहीं क्यूं कर होगा”,” गगन से समझे चांद सुखी है चंदा करे सितारे”,और “तेरी तस्वीर को सीने से लगा रखा है”जैसे कर्ण प्रिय गाने सावन को आने दो फिल्म की जान थे।
अरुण गोविल ने हिंदी, बंगाली, भोजपुरी, कन्नड़ तेलगु फिल्मों में काम कर गुजर बसर किया लेकिन वे चल नहीं पाए। रामानंद सागर के जेहन में दूरदर्शन के लिए धारावाहिक रामायण चल रही थी और इसके लिए राम की भूमिका के लिए अरुण गोविल जंच गए। वैसे अरुण गोविल, रामानंद सागर के विक्रम और बेताल धारावाहिक में विक्रमादित्य की भूमिका निभा चुके थे।
25जनवरी1987से78 एपिसोड वाला धारावाहिक “रामायण” का प्रसारण शुरू होने के बाद एक इतिहास बना और देश वासियों को अरूण गोविल ने अपने अभिनय के बल पर ये विश्वास दिला दिया कि राम, अरुण गोविल के ही समान थे। इस धारावाहिक ने देश के हर व्यक्ति में राम को बसाने का काम किया और कालांतर में बावरी मस्जिद विध्वंस के बाद देश की आध्यात्मिक चेतना के रूप में राम सामयिक होते गए। फैजाबाद का नाम अयोध्या होने और फिर सरयू तट पर राम लला के मंदिर निर्माण और राम लला की मूर्ति स्थापना ने राम को देश भर में राजा राम बना दिया।22जनवरी 2024को समूचा देश मानो अयोध्या में बदल गई थी। राम, जन जन के राम हो चुके थे। करोड़ो अश्रुपूर्ण आंखो ने राम के आने पर अपने घर को राम का घर बना लिया। इस आयोजन में राम की भूमिका निभा चुके अरुण गोविल भी साक्षात अयोध्या में आए तो कुछ अंदेशा था लेकिन मेरठ से अरुण गोविल भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए तो सार समझ में आ गया।
2024लोकसभा चुनाव में मेरठ सीट पर भी लोगो की निगाहे रहेगी। 5 विधानसभा सीट किठौर,मेरठ,मेरठ केंट, मेरठ दक्षिण और हापुड़ इस लोकसभा सीट में आते है। 2022में हुए विधान सभा चुनाव में किठौर और मेरठ समाजवादी पार्टी के हिस्से में आई है। मेरठ कैंट, मेरठ दक्षिण और हापुड़ से भाजपा के प्रत्याशी निर्वाचित हुए है। पिछले विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल(RLD) आपस में गठबंधन में थी लेकिन लोकसभा चुनाव 2024में राष्ट्रीय लोक दल,भाजपा के साथ है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल को 2022 विधानसभा चुनाव में मेरठ लोकसभा के 5 विधानसभा में 4.67लाख मत मिले थे ।भाजपा को 5.72लाख याने 1.05लाख मत ज्यादा मिले है जो ये तो इशारा करते है कि अरुण गोविल के लिए रास्ता साफ है लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव का परिणाम देखे तो पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल केवल 4729मत से जीत हासिल किए थे।
मेरठ से कांग्रेस के शाह नवाज खान (1952,1957,1962,1971)और मोहसिना किदवई (1980,1984) छः बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए है।2004में बहुजन समाज पार्टी के मो शाहिद अखलाक विजय प्राप्त किए है। 2009से मेरठ भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल विजयी होते रहे है। इस बार मेरठ के ही निवासी अरुण गोविल भाजपा के प्रत्याशी है। उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने भानुप्रताप सिंह और बसपा ने देव व्रत त्यागी को उम्मीदवार बनाया है। 2019के लोकसभा चुनाव में बसपा और समाजवादी पार्टी गठबंधन में मेरठ सीट बसपा के हिस्से में आई थी। हाजी याकूब मोहम्मद को5.81लाख मत मिले थे। कांग्रेस के प्रत्याशी को सिर्फ 34हजार मत मिले थे। कांग्रेस को 2022के विधानसभा चुनाव में मेरठ के 5विधानसभा सीट में केवल 17हजार मत का मिलना ये बता रहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अस्त हो रही है।