नीरज कुमार की रिपोर्ट
उरई l जिला जज, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री राजीव सरन ने जिला कारागार उरई का साप्ताहिक भ्रमण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया। उन्होंने विभिन्न बैरकों का भ्रमण किया और वहां निरूद्ध बन्दियों से पूछ-तांछ करते हुये उनकी समस्यों को जाना समझा तथा जेल प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। इस मौके पर जेल प्रशासन के अधिकारीगण मौजूद थे।
निरीक्षण में सचिव/अपर जिला जज, राजीव सरन ने जिन बन्दियों की जमानत सक्षम न्यायालय से हो चुकी हैं किन्तु जमानतगीर न होने के कारण रिहा नहीं हो पा रहे हैं, उनकी सूची अविलम्ब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौन के कार्यालय में प्रेषित किये जाने हेतु जेल प्रशासन को निर्देशित किया, जिससे कि उन बन्दियों के सम्बन्ध में प्रभावी पैरवी कर उन्हे शीघ्रता से कारागार से रिहा करवाया जा सकें एवं जिन बन्दियों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं उनकी जमानत राज्य की ओर से जिला अधिकार प्राप्त समिति जालौन के माध्यम से करवायी जा सकें। बन्दियों के मुकदमों की पैरवी, उनको दी जाने वाली विधिक सहायता/सलाह और महिला बन्दी व उनके साथ रह रहे बच्चों की चिकित्सा व खान-पान इत्यादि के बारे में जाना-परखा। उन्होंने कई बन्दियों से अलग-अलग जानकारी ली एवं जेल प्रशासन को निर्देशित किया कि कोई भी ऐसा बन्दी जिसका निजी अधिवक्ता न हो अथवा विधिवत् ढंग से न्यायालयों में पैरवी न हो पा रही हो, को विधिक सहायता दिलाये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें। यदि किसी विचाराधीन बन्दी को पैरवी हेतु सरकारी खर्चे पर अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो सम्बन्धित न्यायालय में बन्दी की ओर से प्रार्थनापत्र दिलवाया जाना सुनिश्चित करें ताकि एमाइकस क्यूरी (न्यायमित्र) की सुविधा उपलब्ध हो सके। इसीप्रकार जो बन्दी दोषसिद्ध हो चुके हैं, की अपील न हो पाने की स्थिति में नियमानुसार जेल अपील करायी जाये। इसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से आवश्यक समन्वय बनाकर ऐसे प्रकरणों का निर्धारित समयावधि में निस्तारण किया जाये ताकि अपील की मियाद समाप्त न होने पाये। जेल अपील कराये जाने में यदि कोई विधिक समस्या आ रही है तो उसको जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संज्ञान में लाते हुये द्वारा उचित माध्यम माननीय उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति से यथा आवश्यक पत्राचार किया जाये।
विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुये सचिव/अपर जिला जज श्री राजीव सरन ने बताया कि दुनिया भर में, बंदियों के अधिकारों को लेकर बहस चलती रहती है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि सभी मनुष्यों, यहाँ तक कि बंदियों को भी, कुछ बुनियादी अधिकार प्राप्त होते हैं। इन अधिकारों में उचित व्यवहार, स्वस्थ जीवन, और न्याय तक पहुंच शामिल है। सभी मनुष्यों, जिनमें बंदियों को भी शामिल किया गया है, को मानवाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे कि जीने का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, और न्याय तक पहुंच का अधिकार। बंदियों को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। बंदियों को पर्याप्त भोजन, पानी, और चिकित्सा देखभाल प्राप्त होनी चाहिए। बंदियों को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है और वे अपनी कानूनी स्थिति को चुनौती दे सकते हैं।
इस अवसर पर जेल अधीक्षक नीरज देव, कारापाल प्रदीप कुमार, उपकारापाल अमर सिंह तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौन के लिपिक शुभम् शुक्ला उपस्थित रहे।