पांचवी , आठवी बोर्ड परीक्षा की सार्थकता

राज्य

 

दीनदयाल साहू की रिपोर्ट

रायपुर। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने व कसावट लाने के लिए छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद एक बार फिर पांचवीं-आठवीं बोर्ड परीक्षा शुरू होगी। इसके लिए राज्य सरकार जल्द ही मंजूरी देगी। किंतु कुछ जानकार लोगो ने बताया है कि पांचवी, आठवी की बोर्ड परीक्षाए शिक्षा जगत के माफियाओं के लिए कमाई का बहुत बड़ा संसाधन है।इन परीक्षाओं में प्रश्न पत्र सेट करने ,पेपर प्रिंट करवाने से लेकर परीक्षार्थियों को परिक्षा में पास कराने के साथ साथ मेरिट में लाने तक की सेटिंग बिठाने का खेल शिक्षा माफियाओं के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारियों की मिली भगत के साथ बड़े पैमाने पर खेला जाता रहा है । सूत्रो का मानना है कि पांचवी एवं आठवी की बोर्ड परीक्षाएं शुरू होते ही पुराने शिक्षा माफियाओं की फौज पूरा सिस्टम बैठाने में लग जायेगी।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 यानी आरटीई के लागू होने के बाद बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया था। इस अधिनियम में प्रविधान था कि किसी भी परीक्षार्थी को पास या फेल नहीं कर सकते हैं।

आठवीं तक बच्चों को किसी भी कक्षा में नहीं रोकना है। अगर बच्चे कमजोर हैं तो उनको रेमेडियल टीचिंग दी जानी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यवस्था से स्कूली शिक्षा में अनुशासित शिक्षा नहीं होने से इसका विपरीत असर पड़ा है। कुछ निजी और मॉडल स्कूलों में रेमेडियल टीचिंग (कमजोर बच्चों का शिक्षण) होने से शिक्षा व्यवस्था ठीक है मगर ज्यादातर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को नुकसान हुआ है।परीक्षा की व्यवस्था में बदलाव करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह पर लोक शिक्षण संचालनालय ने काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि परीक्षा लेने के बाद बच्चों को पास या फेल करने को लेकर अभी निर्णय नहीं लिया गया है।

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