दीनदयाल साहू की रिपोर्ट
रायपुर। पं. माधव राव सप्रे ने पत्रकारिता की अलख ऐसे स्थान पेंड्रारोड पर जलाई, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता, क्योंकि उस कालखंड में हिंदी साहित्य की मेनस्ट्रीम उत्तर प्रदेश- बिहार को ही माना जाता था। पं. सप्रे ने मध्य भारत के छोटे से कस्बे पेंड्रारोड में रहकर ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ का न केवल प्रकाशन किया, बल्कि उसे जन-जन तक लोकप्रिय करने का आधार भी तैयार किया। भोपाल से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार गिरजाशंकर ने इस आशय के विचार बुधवार की शाम पं. माधव राव सप्रे जयंती के अवसर पर व्यक्त किए।
महाराष्ट्र मंडल के छत्रपति शिवाजी महाराज सभागृह में आयोजित सप्रे जयंती समारोह में अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. सुशील त्रिवेदी ने गिरिजाशंकर को छत्तीसगढ़ मित्र पं. माधव राव सप्रे साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से नवाजा। इस अवसर पर साहित्यिक पत्रिका छत्तीसगढ़ मित्र के जून 2024 अंक का विमोचन भी किया गया।
हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता पर बोलते हुए गिरिजाशंकर ने कहा कि बदलते वक्त के साथ जब संपादकीय पेज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। संपादकों से कहा जा रहा है कि संपादकीय पेज का औचित्य ही क्या है, जब इस पर विज्ञापन नहीं मिलते। तो ऐसे में आज भी ऐसा बड़ा वर्ग है जो साहित्यिक पत्रिकाओं और किताबों को पढ़ता है। उस पर चिंतन- मनन और चर्चा करता है। यही वजह है कि दशकों से चले आ रही साहित्यिक पत्रिकाएं आज भी बिना कॉर्पोरेट विज्ञापनों के चल रही हैं, पढ़ी जा रहीं हैं और उनके सर्कुलेशन में इजाफा भी हो रहा है। इसके अलावा नई- नई साहित्यिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित होने लगी हैं। यह स्थिति देखकर मैं कह सकता हूं कि पं. सप्रे ने हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता की जो जमीन तैयार की है, वहां आज भी साहित्यिक पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल है। वैसे भी बड़ी संख्या में ऐसे आज भी लोग हैं, जो लगातार इसके लिए काम कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ साहित्यिक संस्कृति संस्थान, महाराष्ट्र मंडल रायपुर और छत्तीसगढ़ मित्र के संयुक्त आयोजन में
पं. माधव राव सप्रे जयंती कार्यक्रम को अध्यक्षता कर रहे सुशील त्रिवेदी, विशिष्ट अतिथि सुभाष मिश्र और महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय काले ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुधीर शर्मा ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन महाराष्ट्र मंडल के सचेतक रविंद्र ठेंगड़ी की ओर से किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।