आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा — विगत दिनों हुये चुनावों के परिणाम की घड़ियाँ ज्यों§ ज्यों नजदीक आती जा रहीं हैं त्यों त्यों चुनाव में भाग ले रहे प्रत्याशियों के दिलों की धडकने भी तेज हो रही है इनमें से कुछ तो अपनी जीत को लेकर निश्चिन्त है तो कुछ जातीय आधार पर गुणा भाग लगाने में ब्यस्त हैं तथा कुछ मन ही मन परिणाम आने के पहले ही अपनी हार स्वीकार कर रहे हैं वैसे तो यह नजारा पूरे देश में है पर हम बात कर रहे हैं बांदा चित्रकूट लोकसभा 48 की जहाँ चुनावी मैदान में कई प्रत्याशी मैदान में रहें किंतु मुकाबला त्रिकोणीय रहा वैसे देखा जाए तो इस चुनाव के परिणाम चाहे जो भी आयें पर यहाँ पर जातीय ध्रुवीकरण जरूर देखने को मिला! यहाँ मौजूदा सांसद प्रत्याशी के प्रति लोगों की भारी नाराजगी भी दिखी जो शायद उनके विजय पथ की बाधा बनती दिख रही है जबकि इस नराजगी को दूर करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर सूबे के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित केद्रींय गृहमंत्री ने भी मतदाताओं को लुभाने के भरपूर प्रयास किए किंतु लगता है की यह लोग भी इस डैमज वातावरण को कंट्रोल करने में नाकाम रहे जबकि दूसरी तरफ सपा प्रत्याशी जो सधे हुए कदमों से काफी झंझावतों के साथ मैदान में रहे यहाँ तक की पति की जगह अंतिम समय पर सपा ने घोषित प्रत्याशी की जगह उनकी पत्नी को मैदान में उतार दिया पहले तो उनके प्रति जनता का माहौल एकदम नाजुक रहा किंतु मतदान का समय आते आते मतदाताओं के मिल रहे जनसमर्थन से उन्होंने सत्ता पार्टी के प्रत्याशी को पीछे धकेलते हुए दौड मे मजबूती के साथ शामिल हो गई। अब बात आती है बसपा की तो इस बार वह भी मजबूती के साथ अपने कदम बढाते हुए उन मतों को अपनी तरफ खीचने में कामयाब रही जो कभी भाजपा का कोर वोट बैंक था इसके साथ बसपा का परम्परागत वोट के साथ साथअन्य जातियों का भी वोट उसे प्राप्त हुआ जिसके चलते बसपा प्रत्याशी मजबूती के साथ पूरे निर्वाचन क्षेत्र में मज़बूत रहा और इस चुनावी लडाई को रोमांचक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है! आमजनता के मध्य उठ रही जनचर्चाओ पर अगर भरोसा करें तो लडाई सपा एंव बसपा के मध्य सिमट कर रह गई है जनचर्चाओ के गर्म बाजार में प्रत्याशियों के जीत हार मे 20 हजार से 50 हजार के मध्य का अंतर होने के कयास भी लगाए जाने लगे हैं देखना यह है कि लोगों द्वारा लगाये जा कयास कितने सही उतरते है।