*सशक्त महिला आखिर इतनी बेबस कैसे जिसने की इच्छा मृत्यु की मांग

देश


आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

 

बांदा– आज एक न्याय की कुर्सी सम्भालने वाली महिला की स्वयं की व्यथा सुनकर बड़ा आश्चर्य हो रहा है की लोगों के साथ न्याय करने वाली महिला को आज स्वयं न्याय नहीं मिलने पर किस प्रकार उसे अपनी इच्छा मृत्यु की इजाज़त मांगने पर मजबूर होना पड़ रहा है जोकि अपने आप में शायद किसी आश्चर्य से कम नहीं मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में 2022मे तैनात रही सिविल जज ने अपने उत्पीड़न की एक लंबी लड़ाई लड़ते हुए 2023मे बांदा आई किंतु अपनी लड़ाई जारी रखी और आज यह लड़ाई संघर्ष देश की प्रमुख खबरों में शरीक हो गई हो भी क्यों नहीं क्योंकि यह मामला एक सिविल महिला जज और एक नारी शक्ति से जुड़ा हुआ है जो स्वयं में ससक्त है मजबूत है किन्तु जिस तरह से उन्होंने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस को लिखा और विंदुवार अपनी पीड़ा व्यक्त की वह चिंता जनक ही नहीं विचारणीय भी है।
आज सबसे बड़ी बात उन्होंने अपने पत्र में लिखकर उजागर कर दिया की जो दोषी है जांच उसी के अधीनस्थ कराई जा रही है ऐसे में जांच के निष्पक्ष होने पर पूरा संदेह है तथा सही भी है आज ऐसा ही हो रहा है पूरे देश में शिकायत की जांच उसी को या फिर उसी के अधीनस्थ को मिलती हैं जिनके खिलाफ शिकायत की जाती है ऐसे में वह जांच कितनी प्रभावशाली होती होगीअत्यंन्त विचारणीय है।
आज एक सिविल जज जैसे गरिमामयी पद पर बैठे हुए उस व्यक्ति को जो दूसरे को न्याय देता है स्वयं न्याय पाने के लिए इतना हताश-निराश है कि उसने सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की संभव है उच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट उनके पत्र को संज्ञान लेते हुए कठोर कदम उठाए पर सिविल जज के इस पत्र ने संपूर्ण जांच व्यवस्था पर जो प्रश्न चिंह खड़ा कर दिया है उसका जवाब कौन देगा।
इधर प्रकाशित हो रही खबरों में कहा जा रहा है कि माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज के प्रकरण को अपने संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई प्रारंभ कर दिया है।
पर अब प्रश्न पुनः उठता है कि एक सशक्त महिला न्याय पाने केलिए आज इतनी बेवस कैसे हो गई की उसे इच्छा मृत्यु की मांग करने को मजबूर होना पड़ा। महिला सिविल जज के इस वायरल हो रहे पत्र में जो बिंदुवारआरोप है वह बेहद गंभीर तो है ही किन्तु बिचारणीय भी है आरोप देखने में व्यक्तिगत है किन्तु वह पूरी व्यवस्था को आइना दिखा रहा हैं जो चीख चीखकर व्यवस्था परिवर्तन की मांग कर रहा है ।हम उस वायरल हो रहे अंग्रेजी में उनके लिखे पत्र एवं हिन्दी में ट्रांसलेट किए पत्र को भी दिखा रहे हैं जरा देखिए उन्होंने अपनी व्यथा के रुप में आखिर क्या लिखा है ताकि सारा मामला स्पष्ट तौर समझा जा सके!!

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