लोकेंद्र भुवाल की रिपोर्ट
*बेमेतरा 22 अप्रेल 2024:-* कलेक्टर श्री रणवीर शर्मा के मार्गदर्शन में जिले में बाल विवाह मुक्त करने हेतु महिला बाल विकास एवं संयुक्त टीम जिले में लगातार कार्यवाही कर रही है। इसी क्रम में बीते दिन रविवार को चाइल्ड हेल्पलाईन न. 1098 जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग को विकासखण्ड साजा के ग्राम मटिया, तह-साजा के 2 बालकों का बाल विवाह की जानकारी प्राप्त हुई थी, जानकारी के आधार पर श्री चन्द्रबेश सिंह सिसोदिया जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं श्री सी.पी. शर्मा महिला एवं बाल विकास अधिकारी के निर्देशानुसार जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री व्योम श्रीवास्तव एवं साजा परियोजना अधिकारी श्रीमती लत्ता चांवड़ा के नेतृत्व में बाल विवाह के रोकथाम हेतु कार्यवाही की गयी। उक्त ग्राम के बघेल परिवार के एक बालक एवं कुर्रे परिवार के युवक का विवाह होने जा रहा था जहाँ बघेल परिवार के बालक की शादी नारंग परिवार रघुनाथपुर, कबीरधाम एवं कुर्रे परिवार की युवक की शादी कुर्रे परिवार सीरवाबांधा, बेमेतरा की युवती से बाल विवाह किये जाने की सूचना पर महिला एवं बाल विकास विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई चाइल्ड हेल्पलाईन 1098 एवं पुलिस विभाग के संयुक्त टीम द्वारा बाल विवाह रोकवाया गया। शिकायत प्राप्त होने पर मटिया में बघेल एवं कुर्रे परिवार के एक-एक बालक का बाल विवाह रोकवाया गया। उक्त युवकों में से एक युवक की बारात सीरवाबांधा, जिला बेमेतरा प्रस्थान होने की तैयारी हो रही थी। सूचना के पश्चात टीम द्वारा युवकों के परिवार जनों के समक्ष कार्यवाही किया गया। वधु पक्ष को भी दूरभाष के माध्यम से समझाईस दी गई एवं जिला बाल संरक्षण इकाई कबीरधाम से समन्वय स्थापित कर उक्ताशय के संबंध में जानकारी दी गई। युवक के परिजनों के द्वारा निर्धारित आयु पूर्ण होने के उपरांत ही विवाह किये जाने हेतु अपनी सहमति प्रदान की गई तथा विवाह स्थगित करने की बात कही गई, युवक के परिजनों के कथन अनुसार हमें यह ज्ञात नहीं था कि वर्तमान में मौजूदा कानून के तहत् 18 वर्ष से कम आयु की बालिका एवं 21 वर्ष से कम आयु के बालक का विवाह गैर कानूनी है।
संयुक्त टीम द्वारा समझाईस दिये जाने पर वर पक्ष द्वारा उक्त बालक का विवाह वर्तमान में मौजूदा कानून के तहत् विवाह किये जाने की शपथपूर्वक कथन किया गया। संयुक्त टीम द्वारा उन्हे बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 में उल्लेखित प्रावधानों के बारे में बताया गया कि निर्धारित आयु पूर्ण होने के पूर्व विवाह करवाना अपराध है, जो भी व्यक्ति यथाः बाल विवाह कराने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे-संबंधी, बाराती, विवाह कराने वाले पुरोहित, बैंड बाजा, हलवाई एवं टेंट वालों पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। जो व्यक्ति ऐसा करता या कराता है या विवाह में सहयोग प्रदान करता है, तो उसे भी 02 वर्ष तक कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रु. तक हो सकता है अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी को बालक विवाह प्रतिषेध अधिकारी घोषित किया गया है। बाल विवाह की सूचना अनुविभागीय दण्डाधिकारी, पुलिस थाने में महिला एवं बाल विकास विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी / कर्मचारी/आगनबाडी कार्यकर्ता, सरपंच, कोटवार आदि को दी जा सकती है। इस कानून के अनुसार बाल विवाह के बंधन में आने वाले बालक/बालिका को अपना विवाह शून्य घोषित कराने का अधिकार है।