धरातल से कोसों दूर है संचारी रोग एवं दस्तक अभियान

राज्य

 

आत्माराम त्रिपाठी की ✍️ से–

#–वर्तमान में विभागीय जिम्मेदारों के नकारापन के चलते सिर्फ रैलियों एवं कागजों में ही सिमट कर रह गया संचारी रोग एवं दस्तक अभियान–#
जैसाकि आप सभी जानते हैं की संचारी रोगों के निदान हेतु शासन प्रशासन द्वारा अभी ब्यापक रुप से एक अभियान छेडा गया है लेकिन हमे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह अभियान सिर्फ अखबारों एवं शोशल मीडिया की सुर्खियों तक ही सीमित है और इसकी आड़ में स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ अन्य विभागों द्वारा शायद लंबा खेल भी खेला जा रहा है आज धरातल पर इसका कोई अस्तित्व नहीं है जबकि
इस अभियान के तहत लोगों को साफ, सफाई, मलेरिया, फाइलेरिया, डेगूं, चिकनगुनियां, कालाजार, मस्तिष्क ज्वर आदि रोगों के बारे में जागरूक करना बताया जा रहा है एवं घरो पर जाकर मच्छरों से पैदा होने वाली परिस्थितियों का निरीक्षण कर बुखार के केस चिन्हित कर उनकी लाइन लिस्ट तैयार कर बुखार के रोगियों को निकटतम चिकित्सालय पर सन्दर्भित करने के साथ और भी कई कार्य बताये जा रहे हैं लेकिन यह सब कागजी है एवं हवा हवाई है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी गंदगी का ढेर जगह जगह है ग्राम पंचायतों द्वारा बस्ती की नालियों की सफाई कभी नहीं हुई जबकि प्रधान एवं सचिवों द्वारा साफ सफाई के नाम पर लाखों का वारा न्यारा सरेआम किया जा रहा है गंदे पानी से बजबजाती नालियों में पनपते मच्छरों एवं संक्रामक कीटाणुओं से निकलती बीमारियों ने ग्रामीणों को अपने चपेट में लेते हुये आतंक मचा रखा है इस गर्मी के मौसम के दस्तक देते ही रहवासियों द्वारा मच्छरों से बचने के लिये मच्छरमार अगरबत्तियों का सहारा लिया जा रहा है जिसे स्वास्थ्य के लिए घातक भी माना गया है इसके अलावा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कई वर्षों से कभी भी कहीं नहीं हुआ जिम्मेदारों द्वारा सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाये जा रहे हैं किंतु यह अभियान बेधड़क चल रहा है तरह तरह से हरी झंडियां दिखाकर नारेबाजी कर! इस कार्यक्रम के अंतर्गत सिर्फ वाहवाही लूटने के लिये टीमें रवाना तो होती है पर जाती कहाँ है किसी को नहीं पता और नारा तो कुछ इस तरह लगाये जा रहे हैं की जैसे समूचे जनपद को संचारी रोगों से एवं संचारी रोगों को उत्पन्न करने वाले संक्रमित कीटाणुओं से सभी को मुक्त कर दिया जाएगा पर कैसे जबकि इसके लिए कोई ठोस उपाय तथा कोई भी नीति सामने नहीं दिखाई दे रही तथा लोगों के साथ साथ हमारा भी मानना है की यह अभियान तब तक सफलता की ओर अग्रसर नही होगा जब तक ग्रामो में ग्राम प्रधान ग्राम बिकास अधिकारी एंव अन्य जुड़े हुए अधिकारी कर्मचारी निष्ठा पूर्बक अपने अपने जिम्मेदारियों का बोध कर ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं करेंगे तब तक आमजन को संचारी रोगों से मुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसे नकारा लोगों के सामने एक गंदगी सामने पडी दिखाई दे रही है तो दूसरी मस्तिष्क में बैठी भ्रष्टाचार को जन्म दे रही जबकि दोनों ही आमजन केलिए घातक है अब इसके लिए किस दवा का छिडकाव करें या करवाए यह सोचना आला अधिकारियों का कार्य है।

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