MukhtarAnsari द्वारा बीजेपी विधायक  के हत्या की पूरी कहानी 

अपराध

        विष्णु चतुर्वेदी की रिपोर्ट

29 नवंबर 2005 में BJP विधायक कृष्णानंद राय (भूमिहार ब्राह्मण) की हत्या ने यूपी की सियासत को हिला दिया था

गुंडा मुख़्तार अंसारी 90 के दशक में सियासत की राह पकड़ी, उसने 1996 में विधानसभा चुनाव लड़ा और राजनीति पारी की शुरुआत की, सियासी ताकत के साथ आने से मुख़्तार का कद बढ़ता गया

जिस वक्त मुख़्तार की तूती बोल रही थी, उसी वक्त गाजीपुर के मोहम्मदाबाद सीट से 2002 में BJP की टिकट पर कृष्णानंद राय ने चुनाव जीता, कृष्णानंद राय से मुख्तार अंसारी की चुनौती बढ़ने लगी और उनका कद बढ़ता देख अंसारी को ये बात हजम नहीं हुई

सर्विलांस पर यूपी STF को जानकारी मिली कि मुख्तार अंसारी सेना के किसी भगोड़े सिपाही से एक करोड़ में लाइट मशीन गन खरीदना चाहता है, यह सौदा मुख्तार अंसारी का गनर मुन्नर यादव करवा रहा था और यह सेना की LMG मुन्नर यादव का भगोड़ा भांजा सिपाही बाबू लाल यादव बेचने वाला था, बाबू लाल यादव J&K में सेना की 35 राइफल्स से LMG चुरा कर भाग आया था

मुख्तार अंसारी यह LMG कृष्णानंद राय की बुलेट प्रूफ गाड़ी को भेदने के लिए खरीद रहा था और अगर यूपी STF इस सौदे को न रोकती तो कृष्णानंद राय की हत्या एक साल पहले ही हो जाती

गाजीपुर जेल में मुख्तार का दरबार लगता था और जिसमें दरबानी करने जिले के कप्तान से लेकर तमाम बड़े अफसर तक जाते थे, जिस की शिकायतें DGP मुख्यालय भी पहुंचती थी! कृष्णानंद राय हत्याकांड से कुछ दिन पहले मुख्तार ने रणनीति के तहत जेल से ट्रांसफर करा ली और फतेहगढ़ जेल चला गया, जब कृष्णानंद राय की हत्या की जा रही थी तो फतेहगढ़ जेल में बंद मुख्तार मौके से गोलियों की तड़तड़ाहट को सुन रहा था, कृष्णानंद राय की हत्या से मुख्तार अंसारी इतना खुश हुआ कि उसने खुशी में फैजाबाद के बाहुबली माफिया को फोन कर कृष्णानंद राय की हत्या की जानकारी दी, मुख्तार की यह खुशी यूपी STF सर्विलांस पर सुन रही थी

पूर्व DGP बृजलाल की माने तो सरकार के दबाव में अफसर.. कृष्णानंद राय के हत्या की आहट को सुनकर भी अनसुना कर रही थी

जिस वक्त कृष्णानंद राय हत्याकांड को अंजाम दिया गया उस वक्त UP में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुख्यमंत्री हम सबके प्यारे बबुआ के पप्पा जी यानी कि मुलायम सिंह यादव थे

BJP विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की 29 नवंबर 2005 को ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी गई, हमला उस वक्त हुआ जब कृष्णानंद राय बसनिया चट्टी के सियारी गांव में क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन कर अपनी गाड़ी से लौट रहे थे

बुलेट प्रूफ जैकेट और बुलेट प्रूफ गाड़ी से चलने वाले कृष्णानंद राय घटना वाले दिन बुलेट प्रूफ गाड़ी से नहीं थे। कृष्णानंद राय का काफिला जैसे ही बसनिया चट्टी गांव के कच्चे रास्ते पर पहुंचा कि सामने से आई सिल्वर ग्रे कलर की टाटा सुमो से उतरे हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी

इस हत्याकांड को अंजाम देने वालों में मुन्ना बजरंगी जो मुख्तार अंसारी के मुख्य शूटर थे, कहा जा रहा है कि मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय की हत्या को पुख्ता करने के लिए क्वालिस की बोनट पर चढ़कर एके-47 से फायरिंग की थी, हत्याकांड में कृष्णानंद राय के साथ उनके सरकारी गनर निर्भय नारायण राय, अखिलेश राय, मुन्ना यादव, श्याम शंकर राय, शेषनाथ सिंह भी मारे गए

कृष्णानंद राय को मारने के बाद मुख्तार अंसारी के आदेशानुसार उनकी चुटिया (टिकी) काट ली थी क्योंकि ब्राह्मण अपने चुटिया को अपना इज्जत समझते हैं और पहचान के तौर पर उनका अंगूठी खोलकर ले गया था

कृष्णानंद राय की इतनी लोकप्रियता था कि 10 से 15 दिनों तक पूर्वांचल जलता रहा

इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए एके-47 से 400 से अधिक राउंड फायरिंग की गई, पोस्टमार्टम के दौरान लाशों से 60 से 70 गोलियां बरामद हुई

हत्याकांड में मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी, संजीव जीवा, मुन्ना बजरंगी, एजाज उल हक, अताउल रहमान, फिरदौस, रामू मल्लाह, विश्वास नेपाली, जफर, अफरोज खान और मंजूर अंसारी समेत कुल 13 लोग नामजद किए गए

CBI ने कोर्ट में 475 पन्ने की चार्जशीट और 53 गवाह पेश किए, 13 साल से ज्यादा ट्रायल चला और कोर्ट ने ट्रायल के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया, हत्याकांड में नामजद 13 आरोपियों में तीन आरोपी विश्वास नेपाली, जफर और अताउल रहमान फरार हैं, संजीव जीवा माहेश्वरी भी अदालत से निकलते वक्त विजय यादव द्वारा ठोक दिया गया, फिरदौस को मुंबई पुलिस ने मुठभेड़ में ठोक दिया, मुन्ना बजरंगी की जुलाई 2018 में बागपत जेल में ठोक दिया गया, अब मुख्तार अंसारी भी गया

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