बांदा के खनन कार्य में सिंडिकेट की हुकूमत जिसके आगे प्रशासन हुआ लाचार

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आत्माराम त्रिपाठी
बांदा । बुन्देलखण्ड क्षेत्र में खनिज सम्पदा के रूप में पायें जाने वाले मोरम,बालू व अन्य खनिज का लगातार दशकों से बैध व अबैध खनन के दोहन से जहां जीवनदायिनी नदियों व पहाड़ों का अस्तित्व विलुप्त होकर इतिहास में दर्ज होने की राह पर है। वहीं दो राज्य मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के मध्य स्थित इस क्षेत्र में भयानक पर्यावरण असंतुलन ख़तरे को भी बार बार चेतावनी के रूप दर्शाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन सरकारों द्वारा अधिक राजस्व पूर्ति का लक्ष्य निर्धारित कर हुए धनार्जन से बिकास का रोल-मॉडल पेश करने की होड़ लगी है। वास्तविकता में आने वाली पीढ़ी क्षेत्रीय जनों को भविष्य में बंजर भूमि, कंक्रीट का जंगल, रेगिस्तान व अनुपयोगी पर्यावरण में जीवन यापन करने को मजबूर होने की सौगात मिलने वाली है। जिसमें मुख्य भूमिका बेहिसाब खनिज सम्पदा का अवैध दोहन होगा। सपा, बसपा व अन्य दलों ने खनिज माफियाओं को बढ़ावा देने के लिए सिंडीकेट के माध्यम से बेतहाशा खनन की छूट दी गई जिसमें हाय तौबा होने पर बड़े प्रशासनिक अधिकारियों व उच्चस्तरीय मंत्रियों को हवालात में डाल दिया। भाजपा ने जब प्रदेश की सत्ता में ईमानदार और तेज तर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कुर्सी संभाली तो सबसे पहले खनिज नियमों में संशोधन कर ई-टेंडर के माध्यम से खनिज उत्खनन के लिए पट्टों का आवंटन नये नियमों के आधार पर किया। लेकिन कुछ सिंडीकेट माफियाओं के तंत्र ने पर्दे के पीछे से नये चेहरों को आगे रख खनिज पट्टों में अपनी पकड़ मजबूत कर खदानों को ले लिया। और अपने पुराने सहयोगी प्रशासनिक अधिकारियों, नेताओं व बाहुबली माफियाओं के दम पर मुख्यमंत्री योगी के द्वारा अवैध खनन परिवहन ओवरलोडिंग की रोकथाम के इंतजामों को तोड़कर अपनी मर्जी से खनन संक्रियांये संचालित जारी कर दी जिसमें नदियों किनारे रहने वाले ग्रामीणों पर अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया जब ग्रामीण क्षेत्रों की आजिज आकर शिकायत दर्ज कराने उच्चाधिकारियों के समक्ष पेश हुई तो मीडिया में सुर्खियां बनी जिसमें योगीराज की सख्ती से दोयम दर्जे अधिकारियों द्वारा की गई मामूली कार्यवाही के फलस्वरूप एनजीटी, खनिज व परिवहन नियमों का पालन शत-प्रतिशत होना सुनिश्चित नहीं हुआ। जिसका जीवंत उदाहरण जनपद में डीएम नागेन्द्र सिंह ने कड़े निर्देश जारी कर इस मानसून सत्र के बाद शुरू हो रही नदी तल बालू खदानों से तय खनिज, एनजीटी व परिवहन नियमों के आधार पर ही खनन संक्रियांये संचालित हो। संयुक्त टीम ने सभी प्रस्तावित खदानों का निरीक्षण किया और जुर्माना भी किया घन मीटर अवैध खनन, व अन्य खदानों में भी नियमों के विपरीत खनन की पुष्टि उनकी जांच में पाया गया जिसके एवज में जुर्माना लगाया गया। लेकिन खदान संचालक पर मुकदमा पंजीकृत नहीं किया गया आगर प्रशासन 20 लाख का जुर्माना करता है तो खनन माफिया के द्वारा 40 लाख रुपए का राजस्व को चूना लगाया जाता है उसके बावजूद भी खदानों से लगातार ओवरलोडिंग व अवैध खनन की शिकायत क्षेत्रीय जनों व मीडिया द्वारा उच्चाधिकारियों से हो रही है ।लेकिन इन कारोबारियों के धनबल बाहुबल प्रशासनिक व राजनैतिक संरक्षण के कारण सभी नियमावली कागज़ पर लिखे हैं धरातल पर नियमों के विपरीत हैवीवेट मशीनरी, नदियों में मोबाइल कन्वेनर का प्रयोग बेधड़क करके एनआर, ट्रकों को टांप तक पांच से दस गुना अधिक रेट पर बिक्री जारी है। प्रदेश सरकार के मुखिया हर बार बीडीओ कान्फ्रेंसिंग समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश देते हैं कि उत्खनन क्षेत्र से खनिज ओवरलोडिंग व अबैध खनन पर प्रतिबंध लगा कर ठोस कार्रवाई करें लेकिन अधिकांश अधिकारी बीडिओ मीटिंग में तो इस मकड़जाल को तोड़ने का प्रयास करते हैं लेकिन इस धन वर्षा में अपनी उपयोगिता अनुसार हिस्सेदारी के लिए धृतराष्ट्र नीति को अपनाते हैं। बता दे कि पैलानी तहसील क्षेत्र के मड़ौली खुर्द खदान में जमकर हो रहा अवैध खनन और अवैध परिवहन अवैध खनन और अवैध परिवहन पर लगाम लगाने में नाकाम दिखा तहसील प्रशासन जनपद के पैलानी तहसील अंतर्गत मड़ौली बालू खदान है संचालित
चंद्रावल नदी के पुल के ऊपर से लागतार निकल जा रहे हैं ओवरलोड ट्रक आमरा व गौरी कला जसपुरा गांव के अंदर से ओवरलोड ट्रैकों का लगा रहता है जमवाड़ा जसपुरा कस्बे के बस्ती व चौराहा से निकल जा रहा है सैकड़ो ओवरलोड ट्रक अधिकारियों के नाक के नीचे माफिया कर रहे अवैध खनन और परिवहन सरकारी राजस्व को लगा रहे चूना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में जनपद में माफिया जमकर मचा रहे तांडव अधिकारी साधे है चुप्पी N.G.T. की नियमावली को ताक में रख केन और यमुना में जमकर चल रही हैवी पोकलैंड मशीनें बीच जलधारा में खनन के दौरान रोजाना होती है कई जलीय जीव जंतुओं की हत्या अधिकारी मौन है। जानकारी के अनुसार पैलानी के एक झोलाछाप डॉक्टर जसपुरा थाना के हिस्ट्रीशीटर के रसूख के आगे अधिकारी नतमस्तक आखिर खनन माफियाओं पर क्यों नहीं हो रही कार्यवाही।
देखने लायक बात होगी आखिर कब दबाव या नींद से जागेगा प्रशाशन और अवैध खनन पर चलाएगा चाबुक।

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