लाल सोने की लूट पर स्थानीय प्रशासन लगाम लगाने में अक्षम खनन नियमावली की उड़ाई जा रही धज्जियां

राज्य

 

आत्माराम त्रिपाठी
बांदा ।        जनपद में इन दिनों जमकर अवैध खनन, ओवरलोडिंग और राजस्व की चोरी हो रही है कि खबरे प्राथमिकता के साथ प्रकाशित हो रही है हर प्रकाशित खबरों में अपने तरीके से आरोप लगाएं जा रहे हैं।
उन्ही आरोपों में एक आरोप यह भी  है कि अधिकारियों की लोकेशन लेकर जनपद की सीमा में संचालित बालू खदानों से संचालकों की शह पर एन आर गाड़ियां भी निकाली जा रही हैं। जिसके चलते प्रशासन को राजस्व की भारी क्षति हो रही है। सोचने वाली बात   ये भी है कि जिला प्रशासन को संपूर्ण जानकारी होने के बावजूद कार्यवाही नहीं हो रही है।
ऐसा प्रतीत होता है कि अवैध खनन और अवैध परिवहन पर लगाम लगाने में जिला प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है।
मामला जनपद की पैलानी तहसील अंतर्गत मड़ौली खदान व तिंदवारी थाना अंतर्गत बेंदा  खदान  का है जहां सरकार के नियम नहीं चलते है बल्कि वी आई पी नंबर वालों का फरमान चलता है। इन खदान संचालकों की मनमानी के चलते ओवरलोड परिवहन से जहां एक ओर सड़के ध्वस्त हो रहीं हैं तो वहीं दूसरी ओर राजस्व की भारी चोरी भी हो रही है। ट्रक मालिकों/ ट्रक ड्राइवरों को बालू के दो रेट बताए जाते हैं, एक रेट रवन्ना के साथ वाले और दूसरा बिना रवान्ना वाले। इन खदानों में इस समय नियमों को दरकिनार कर वैध की आड में अवैध काम हो रहे हैं। हैरानी तो तब होती है जब अधिकारियों के नाक के नीचे बालू माफिया अवैध खनन और ओवरलोड परिवहन कर सरकारी राजस्व को चूना लगाते है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में जहां जीरो टॉलरेंस की नीति है वहां इस जनपद में माफिया जमकर तांडव मचा रहे है और जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हैं। एन जी टी के नियमों को ताक पर रखकर यमुना और केन में प्रतिबंधित मशीनों से खनन किया जा रहा है। नदी की बीच जलधारा में खनन के दौरान रोजाना जलीय जीव जंतुओं की हत्या हो राउ है ।  विचारणीय विषय यह है कि आखिर इन खनन माफियाओं पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। ऐसा तो नहीं कि अधिकारियों पर किसी सफेदपोश या किसी माननीय का दबाव का दबाव हो।
ऐसे संचालकों के विरुद्ध कार्यवाही न होना प्रशासन की संलिप्तता की ओर इशारा करता है। आखिर कब स्थानीय प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए कार्यवाही करेगा। उत्तर मिलना मुश्किल है और जवाब अंधेरे में है। तो सैकड़ों ट्रकों की धमाचौकड़ी से उडते धूल के कडो से प्रदूषण बढ रहा है यहीं नहीं खनन के कार्य में लगे अधिकांश वाहनों के पास फिटनेस प्रमाण पत्र भी नहीं है किंतु दो पहिया तीन पहिया फोरबिलर का उपरोक्त प्रमाण पत्र न होने पर चालान करने वालों को इनके पास यह सारे डाक्यूमेंट्स है कि नहीं देखने की जरूरत नहीं पडती खैर जब बरीकी से निरीक्षण हो तो खदानों में सीसीटीवी कैमरे लगे होने के साथ धर्मकाटा भी कैंपस में होना चाहिए किंतु यह निरीक्षण के दौरान निरीक्षण कर्ताओं की लिस्ट में नहीं होता और निरीक्षण कर्ता सिर्फ अबैध खनन ओवर लोडिंग में करोड़ों कमाने वाले को दस बीस लाख का जुर्माना कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर देते और प्रचार इस तरह होता है कि इन्होंने अबैध कारोबारियों की रीढ़ तोड़ दी।

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