आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा । जन शिकायतों प योगी सरकार हुई सख्त दिए जांच के आदेश जारी हुआ अधिकारियों द्वारा विजिट का कार्य पर यह कैसा विजिट की जगह पर पहुचने से पहले गलत करने वाले को बताया जाता है कि वह अपनी कमियां दुरस्त करले वह आ रहे है।पूरा मामला है ग्राम पचोखर स्थित गौशाला का जंहा मुख्यमंत्री के आदेश से गौशालाओं का निरीक्षण करने निकले पशु चिकित्सक डाक्टर नरेंद्र सिंह जिन्होंने बताया कि वह लखनऊ से आए हैं।
लखनऊ से इन डाक्टर महाशय ने प्रधानपति से शिकायत भरे लहजे में कहा कि तुम्हारे द्वारा हमलोगों द्वारा फोन करने पर फोन क्यों नहीं उठाया जाता देखो अपना मोबाइल कितने बार फोन लगाया है प्रधानपति संतोष कुमार श्रीवास ने कहा कि साहब हमारा फोन सही नहीं है डाक्टर नरेंद्र सिंह ने कहा फोन हम इसलिए लगा रहे थे की अगर कोई कमी हो तो आप इसे दुरस्त कर लें।
सवाल केवल पचोखर गौशाला का नहीं नहीं इन डाक्टर नरेंद्र सिंह महाशय का सवाल है कि जब विजिट करने वाले की ऐसी मानसिकता होगी तो जो मुख्यमंत्री श्री योगी की मंशा है क्या वह पूरी होगी क्या वह ऐसे अधिकारियों के द्वारा भेजी जा रही रिपोर्ट से जनता की वास्तविक समास्याओं से अवगत हो पाएंगे हमे तो संदेह है।
जिसतरह से महुआ ब्लॉक एवं नरैनी ब्लॉक क्षेत्र के गावों में ग्राम प्रधान ग्राम बिकास अधिकारी पंचायत मित्र मिलकर मनरेगा के कार्यो से लेकर निधियों से प्राप्त धनराशि का दुरूपयोग कर रहे हैं वह भी किसी से छिपा हुआ नहीं है अब तो यह लोग निधियों से प्राप्त धनराशि के बारे में कहते हैं कि 25% प्रतिशत एडवांस कमीशन देकर निधी प्राप्त की है इसके बाद स्टीमेट बनाने वाले को कमीशन काम पूरा होने पर उसकी फाइनल रिपोर्ट लगवाने में कमीशन बिल पास करवाने में कमीशन तो हम इसके बाद कितना कार्य करेंगे स्वाभाविक है मानक के अनुरूप नहीं होगा किंतु यह लोग इतने चतुर है कि यह बातें तो बताते हैं पर जब कैमरे के सामने यही सब बोलने को कहा जाता है तो सब मुकर जाते हैं और कहते हैं कि जल मे रहकर मगरमच्छ से बैर नही कर सकते हमारे कहने का आशय है कि इन कार्यो का भी विजिट होता है किंतु सच्चाई से कोसो दूर और मुख्यमंत्री श्री योगी यह मानकर चल रहे हैं कि उन्होंने भृष्टाचार पर नकेल लगा दी है क्योंकि ऐसे अधिकारी कर्मचारी की बहुतायत है जो उन्हें अंधेरे में रख उनकी साफ स्वच्छ छवि पे बट्टा लगाने की कमरकसे हुए बैठे है ।