– आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा। फतेहगंज थाना क्षेत्र के अन्तर्गत पुलिस की सरकारी गाड़ी से डीजल चोरी की खबर प्रकाशित करने पर लखनउ से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र के जिला संवाददाता अंशू गुप्ता के खिलाफ थाना पुलिस ने भ्रामक खबर प्रकाशित करने का मुकदमा कई धाराअेां में दर्ज किया था। जिस पर वादी ने न्याय की गुहार लगाते हुए माननीय उच्च न्यायालय हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अंशू गुप्ता की याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी से जवाब मांगा है।
उधर जानकारी देते हुए पीड़ित पत्रकार अशू गुप्ता ने बताया कि पुलिस ने उनके विरूद्ध साजिशन मुकदमा दर्ज किया है। जहां पर पुलिस मैकेनिक की दुकान दिखा रही है वह दुकान में गैस रिफिलिंग और साइकिल की दुकान है जिसका वीडियो भी मेरे पास है इसके पूर्व भी पुलिस ने जब उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज किया था। उन्होंने प्रेस कौसिंल आफ इण्डिया में शिकायत की थी। जिस पर पुलिस विभाग के अधिकारियों को प्रेस कौंसिल ने तलब किया था। इस बार भी उन्होंने सत्यता को दिखाने के लिए खबर का प्रकाशन किया। लेकिन पुलिस उनके खिलाफ खुन्नस के चलते मुकदमा दर्ज करा दिया। जिस पर उन्होंने अपने बचाव में हाईकोर्ट इलाहाबाद में याचिका की। उनकी याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उनसे जांच में सहयोग करने के आदेश दिये हैं। इसके साथ ही पुलिस विभाग के डीजीपी उत्तर प्रदेश से हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। वही पत्रकार के वकील राजेश कुमार निषाद ने बताया कि पत्रकार को सच का आइना दिखाना भारी पड़ गया है लेकिन माननीय उच्च न्यायालय हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है। क्योंकि जब भी पत्रकार के ऊपर मुकदमा लिखा जाता है तो पहले मुकदमा लिखने से पहले उनको नोटिस देना चाहिए और सूचना विभाग से पता करना चाहिए व नोटिस के बाद भी अगर खबर में खंडन नहीं किया जाता तो मुकदमा दर्ज होता है लेकिन पुलिस ने बिना जांच के ही मुकदमा दर्ज कर दिया और जहां पर पुलिस की गाड़ी से तेल निकल रहा है वह दुकान मैकेनिक न होकर साइकिल वाले की दुकान थी इस याचिका मे याची को पूर्ण आशा है की सही तरीके से निष्पक्ष जांच होती हैं तो पूर्ण आसा है न्याय मिलेगा।