एक खुला खत भारतीय राज्यो के मुख्य मंत्रियों के नाम

खेल

 

 

      संजय दुबे

मै, छत्तीसगढ़ राज्य का निवासी हूं इस कारण सबसे अधिक उम्मीद अपने राज्य के यशस्वी मुख्य मंत्री विष्णु देव साय जी से करता हूं।मैं यही उम्मीद उन राज्यों के मुख्य मंत्रियों से करता हूं जिनका राज्य खेल के मामले में वैसा राज्य नही है जिन राज्यों से ओलंपिक खेलों में मेडल जीतने वाले निकलते है। वर्तमान में हरियाणा से शूटर मनु भाकर और सरबजोत सिंह, महाराष्ट्र से स्वप्निल कुलासे ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में देश के लिए कांस्य पदक जीता है।
भारत सरकार ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में गोल्ड मेडल जीतने वाले को 75लाख,सिल्वर मेडल जीतने वाले को 50लाख और ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले को 30लाख रुपए नगद पुरस्कार देती है। खिलाड़ियों की उपलब्धि के हिसाब से ये राशि बहुत कम है। भारत सरकार को हरियाणा सरकार से सीख लेनी चाहिए जो हरियाणा राज्य के खिलाड़ियों के ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल, सिल्वर मेडल और ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर क्रमशः6,4और2.5 करोड़ रुपए का नगद राशि पुरस्कार के रूप में देती है । इसी प्रकार पंजाब, केरल, उत्तर प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यो ने ओलंपिक खेलों में अपने राज्यो से ओलंपिक खेलों में मेडल जीतने वालो के लिए भारी भरकम राशि देने की व्यवस्था रखी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने ओलंपिक खेलों में किसी भी प्रकार के पदक जीतने पर 2करोड़ रुपए देने की व्यवस्था रखी है। प्रश्न ये उठता है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 24साल बाद भी ऐसा कोई खिलाड़ी नही निकला जो ओलंपिक खेलों में राज्य का नाम रोशन कर सके और 2करोड़ रुपए ले ले।
कोई खिलाड़ी जब ओलंपिक खेलों मे भारत का प्रतिनिधित्व करता है वो भारत के संविधान के अनुसार राज्यो के संघ भारत का प्रतिनिधित्व करता है। उसके पदक मिलने पर समूचा देश खुश होता है। मेरा मानना है कि किसी सफल खिलाड़ी की सफलता से अनेक लोग प्रेरणा लेते है। याद करिए जब कपीलदेव के नेतृत्व में भारत 1983में वर्ल्ड कप टूर्नामेंट जीता था इसके बाद क्रिकेट का माहौल देश में कैसा बना? इसी प्रकार ओलंपिक में मेडल पाने वाले या फाइनल में पहुंचने खिलाड़ी प्रेरणा के स्त्रोत बन सकते है बशर्ते वे राज्य जहां ओलंपिक खेलों में जीतने वाले खिलाड़ी नही है वे दिल बड़ा करे और उन खिलाड़ियों को नगद राशि देकर पुरस्कृत करे जिन्होंने ओलम्पिक खेलों में पदक जीता है अथवा फाइनल में प्रवेश करने के बावजूद पदक नहीं जीत सके। इसके लिए 2020में टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाले सहित बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को उत्तर प्रदेश सरकार ने नगद राशि देकर सम्मानित किया था। गोल्ड मेडल जीतने वाले को 2करोड़,सिल्वर मेडल वाले 1.5करोड़ और ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले को 1करोड़ रूपये सहित अन्य बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को 50लाख रुपए दिए थे। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की सीमा से संकीर्णता से निकल कर अपना दिल बड़ा किया था। ये कार्य देश के सभी राज्यों को करना चाहिए।इससे किसी राज्य विशेष के पदक विजेता खिलाड़ी को लगेगा कि वह देश भर में सम्मानित होने का गौरव हासिल कर था है। जिस राज्य के द्वारा सम्मान दिया जाएगा उस राज्य में पदक विजेता खिलाड़ी आयेंगे।उनको देख कर, सुनकर, उनके अनुभव से न केवल खिलाड़ी बल्कि बच्चो के अभिभावक भी प्रेरणा लेंगे कि उनके बच्चे भी खेल को पेशेवर रूप से जीवन निर्वाह का माध्यम बना सकते है। राज्य में करोड़ो रुपए ऐसे कार्यों में खर्च हो जाते है जिससे हासिल आई शून्य होता है। 10-20करोड़ रुपए पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए ही सही। छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री विष्णु देव साय जी से विनम्रतापूर्वक आग्रह है कि वे पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के सम्मान समारोह और नगद राशि देने की घोषणा करे। उत्तर प्रदेश में उनकी ही पार्टी की सरकार चार साल पहले ऐसा कर चुकी है। हरियाणा में भी उनकी ही पार्टी की ही सरकार करोड़ो रुपए मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को दे रही है। हमे बस दिल बड़ा करना है हमारे राज्य का न सही हमारे देश का खिलाड़ी ही सही।

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