छत्तीसगढ़ में कांग्रेस एवम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों को अपनी जीत की चिंता

राज्य

 

दीनदयाल साहू 

जगदलपुर।  छत्तीसगढ़ का बस्तर लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस इन दोनों के प्रदेश अध्यक्षों किरण देव एवं दीपक बैज का गृहक्षेत्र होने से परिणाम के लिहाज से यह दोनो नेताओं के लिए महत्वपूर्ण सीट बन गया है। छत्तीसगढ़ की राजनीति  को देखा जाए तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज  दोनो दलों  के प्रदेश अध्यक्षो  के लिए  प्रदेश की 11 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करना है, उतना ही महत्वपूर्ण उनके अपने गृहजिले की सीट को भी बचाना इनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया  है। अब देखना  यह  है कि दोनो में से कौन अपने गृहक्षेत्र में  लोकसभा सीट पर अपनी पार्टी के जीत का परचम लहरा पाएंगा। 04 जून को परिणम के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में दोनो नेताओं में से किसका सितारा चमकेगा यह तय होगा।
यदि तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाये तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव के लिए पहला लोकसभा चुनाव है, अपने गृहक्षेत्र के साथ छत्तीसगढ़ की ज़्यादा से ज्यादा सीटें भाजपा के खाते में आती है तो किरण देव छत्तीसगढ़ के राजनीतिक के शिखर के एक और पायदान और आगे बढ़ जायेगे, जिसकी संभावना अधिक है। हालांकि स्वयं के गृहक्षेत्र की बस्तर लोकसभा सीट बचाना उनकी प्रतिष्ठा के लिए आवश्यक है, वहीं जीत का अंतर जितना बड़ा होगा इसका उतना बड़ा लाभ किरण देव को होगा।
वहीं दूसरी ओर अपनी सरकार के रहते हुए दीपक बैज काफी प्रभावशाली थे, मोहन मरकाम को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा देने और दीपक बैज को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने से उनका कद और भी बड़ा हो गया था। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के रहते हुए उनके पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। इतना ही नहीं दीपक बैज स्वयं अपनी सीट से विधानसभा का चुनाव हार गए। हालात ये हुए कि मौजूदा सांसद रहते हुए भी लोकसभा चुनाव में उनकी टिकट कट गई, लेकिन पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष का पद बरकरार रखा। पूर्व मंत्री कवासी लखमा को बस्तर लोकसभा सीट का टिकट मिलने के बाद अब लोकसभा चुनाव में प्रदेश की ज्यादा सीटें और स्वयं के गृहक्षेत्र की सीट हासिल करना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सत्ता गंवाने के बाद तथा सीट वितरण में देरी और आपसी गुटबाजी के बावजूद यदि बस्तर लोकसभा सीट बचाने में कामयाब रहती है, तो दीपक बैज के लिए कुछ राहत हो सकता है, जिसकी संभावना कम है।
बस्तर लोकसभा सीट के राजनैतिक मिजाज को देखे तो यह स्पष्ट है कि इस सीट पर अब तक सिर्फ कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है, यहां कोई भी अन्य राजनैतिक दल मुकाबले में नही रहा है। इसका मुख्य कारण यह माना जाता है बस्तर लोकसभा का क्षेत्रफल अधिक होना इसके साथ ही पंहुच विहीन नक्सल प्रभावित इलाका होने से मतदाताओं तक पंहुच पान इतना आसान नहीं है, इसीलिए बस्तर लोकसभा सीट में हमेशा यह देखा गया है कि जब कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सत्ता में रहती है तो बस्तर लोकसभा सीट में उसका कब्जा होता है, जैसे कि पिछली बार दीपक बैज भाजपा को पराजित कर इस सीट में कब्जा किया था। उसी तरह इससे पूर्व भाजपा के 15 वर्ष के कार्यकाल में हमेंशा भाजपा का ही सांसद जीतता रहा है।

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