दीनदयाल साहू
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकर नगर रायपुर में इंटरनल क्वालिटी एस्यूरेन्स सेल के अंतर्गत शिकायत निवारण एवं विशेष शिक्षा प्रकोष्ठ द्वारा समावेशी शिक्षा पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। संस्था की प्राचार्य पुष्पा किस्पोट्टा के मार्गदर्शन और समावेशी शिक्षा प्रभारी स्वीटी चंद्राकर के निर्देशन में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना व दीप प्रज्वलन से हुआ। प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि ईश्वर के द्वारा सृष्टि में मनुष्य के रूप में उत्तम रचना की परंतु कुछ में शारीरिक और मानसिक भिन्नताओं के कारण उनके शिक्षा में रुकावट आना एक समस्या है। इस समस्या को शैक्षिक अवसरों की समानता के द्वारा दूर किया जा सकता है। ऐसे अवसर प्राप्त होने से वे स्वयं को बहिष्कृत महसूस ना कर समाज की मुख्य धारा में योगदान दे पाएंगे। मंच संचालन करते हुए स्वीटी चंद्राकर ने व्याख्यान की मुख्य वक्ता पुष्पा चंद्रा का परिचय कराया और उनके द्वारा समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों का उल्लेख किया। इसके बाद अतिथि व्याख्यान में पुष्पा चंद्रा के द्वारा समावेशी शिक्षा, उसके क्षेत्र, समावेशन हेतु सामाजिक व साँस्कृतिक पहचान और समावेशन के एतिहासिक तरीकों को विस्तार से समझाया। उन्होंने विद्यालय की विविधता तथा समावेशी शिक्षा के मुख्य सिद्धांतों और उसके स्तरों पर अपने अनुभव व्यक्त किए। इसके अलावा एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा जारी प्रशस्त एप के द्वारा शिक्षकों के 63 बिंदुओं के मूल्यांकन के बारे में जानकारी दी। विद्यालय में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के समायोजन, इस हेतु प्रयुक्त रणनीतियों, अनुकूलन और यूनिवर्सल डिजाइन ऑफ लर्निंग के अंतर्गत विद्यार्थियो के पठन को सुलभ बनाने पर बात की। आई.क्यू.ए.सी. प्रभारी शेफाली मिश्रा ने आभार प्रदर्शन करते हुए समावेशी शिक्षा की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि कक्षा में विशेष आवश्यकता वाले ऐसे विद्यार्थी होते हैं जिनके लिए विशेष प्रबंध किए जाने की जरूरत होती है परंतु ऐसा करते समय उन्हें यह महसूस नहीं कराया जाना चाहिए कि वो दूसरों से अलग है या उनको दूसरों से अलग उपचार प्रदान किया जा रहा है। व्याख्यान में महाविद्यालय के अकादमिक सदस्य डॉ. सीमा अग्रवाल, डॉ. डी. के. बोदले, शेषशुभ वैष्णव, श्वेता सिंह, मंजूषा तिवारी, धारा बेन, भावना बैरागी, सुलभा उपाध्याय, सुलेखा बघेल एवं बी.एड. व एम.एड. के प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।