लोकेंद्र भुवाल
*बेमेतरा । – कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा में प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय अलग-अलग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राकृतिक खेती के दो दिवसीय उक्त दो प्रशिक्षण कार्यक्रम में नवागढ़ एवं साजा विकासखण्ड के 90 से अधिक कृषक लाभान्वित हुए एवं इस भविष्य की खेती- प्राकृतिक खेती को कुछ किसानों ने अपनाने की बात कही। किसानों को प्राकृतिक और परंपरागत खेती के गुर बताये गये।
कार्यक्रम में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, श्रीं तोषण कुमार ठाकुर ने बताया कि वर्तमान में किसानों की खेती बहुत खर्चिली हो गई है । जिसके कारण उनको खेती से लाभ कम मिलता है। साथ ही रसायनों के अधिक उपयोग के कारण मृदा का स्वास्थ्य भी दिन-प्रतदिन खराब होता जा रहा है और उसके कारण उत्पादित खाद्यान्न भी विषाक्त होता जा रहा है। जिसका दूष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इससे बचने के लिए परम्परागत कृषि को अपनाने, जैविक खेती व प्राकृतिक खेती और उसके लाभ के बारे में व्यापक जन-जागरूकता एवं प्रशिक्षण की ज़रूरत है। इसी उद्देष्य से प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषकों को प्राकृतिक खेती के तरीकों के बारे में जानकारी देने के लिए रखा गया है।*
*प्रषिक्षण के तकनीकी सत्र में केन्द्र के वैज्ञानिक डाॅ. तृप्ति ठाकुर ने किसानों को प्राकृतिक खेती के चार स्तंभ बीजामृत, जीवामृत, फसल अच्छादन एवं वापसा के बारे में बताते हुए उसके प्रायोगिक विधि के बारे में भी जानकारी दी।
तत्पश्चात मास्टर ट्रेनर के रूप में उपस्थित प्रगतिशील कृषक श्री रोहित पटेल ने भी जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती में अपने वर्षों के अनुभव तथा इस क्षेत्र में अपने नवाचार के बारे में जानकारी देते हुए प्राकृतिक खेती के फायदे के बारे में अवगत कराया।
कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा के दौरान डाॅ. जितेन्द्र कुमार जोषी, डाॅ. लव कुमार एवं डाॅ. अखिलेष ने कृषकों को रबी फसलोें से संबंधित समस्याओं के समाधान के बारे में बताते हुए समसामयिक विषय पर चर्चा भी किये।*