गंगा जी में स्नान करने से वाह्य शरीर शुद्ध होता है जब की देवी भागवत सुनने से अंतःकरण

धर्म

 

विष्णु चसोलिया की रिपोर्ट

बालपुर/गोण्डा।       श्री मद् भगवद फाउंडेशन द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद् देवी भागवत महापुराण एवं रूद्र चंडी महायज्ञ शिवानगर में कथा कहते हुए कथावाचक डॉ. कौशलेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने बताया कि गंगा, गया, काशी, नैमिषारण्य, मथुरा, पुष्कर और बदरीवन आदि तीर्थों की यात्रा से भी वह फल प्राप्त नहीं होता, जो नवाह्र पारायण रूप देवी भागवत श्रवण यज्ञ से प्राप्त होता है, सूतजी के अनुसार- आश्विन् मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को स्वर्ण सिंहासन पर श्रीमद् देवी भागवत की प्रतिष्ठा कराकर ब्राह्मण को देने वाला देवी के परम पद को प्राप्त कर लेता है।

इस पुराण की महिमा इतनी महान है कि नियमपूर्वक एक-आध श्लोक का पारायण करने वाला भक्त भी मां भगवती की कृपा प्राप्त कर लेता है, भगवान् श्रीकृष्ण जब प्रसेनजित को ढूंढ़ने के प्रयास में खो गयें थे जो श्रीदेवी भगवती के आशीर्वाद से सकुशल लौट कर आयें थे।इस यज्ञ के यज्ञ आचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी महाराज सहायक आचार्य पंडित सूरज शास्त्री राकेश शास्त्री पुष्पेंद्र जी पंकज रिंकू अनिल अंजनी हेमंत दिनेश संदीप सोनू सुमित रुद्रा रविशंकर विकास आदि तमाम जन समुदाय रहा

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