सारे संसार की रचना का कार्य महामाया ही करती है: डॉ इंदु भवानंद महाराज

धर्म

 

जी पी बुधौलिया की रिपोर्ट

रायपुर। पुरानी बस्ती स्थित महामाया माता मंदिर सार्वजनिक न्यास रायपुर के सचिव व्यास नारायण तिवारी एवं न्यासी पंडित विजय कुमार झा ने बताया है कि मंदिर समिति के तत्वाधान में आयोजित गुप्त नवरात्रि के पावन पुनीत अवसर पर महामाया मंदिर पुरानी बस्ती प्रांगण में जारी श्रीमद् देवी भागवत की कथा को विस्तार देते हुए परम पूज्य ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य द्वयपीठाधीश्वर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के शिष्य डॉ इंदु भवानन्द महाराज ने बताया की महामाया प्रभु की इच्छा शक्ति है। परमब्रह्म की इच्छा के अनुसार सारे संसार की रचना का कार्य महामाया ही करती है। सृष्टि और संहार ही महामाया का कार्य माना जाता है। परब्रह्म परमात्मा पुरुष के रूप में निर्लिप्त कमल पत्र के समान होता है। इसलिए गीता में भगवान स्वयं कहते हैं कि मेरी अध्यक्षता में प्रकृति चर और अचर जीवो का सृजन करती है। ईश्वर भी माया के अधीन होता है तथा जो भी माया के अधीन होता है। ईश्वर का माया विशेषण है,इसलिए वह दृष्टा है और जीव का विद्या विशेषण है। इसलिए वह भोक्ता है। विद्या और अविद्या दोनों परब्रह्म परमात्मा की गुणमयी माया के भेद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *