उर्दू हिंदी साहित्य संगम झांसी के तत्वाधान में मुशायरा आयोजित

राज्य

 

सनत बुधौलिया के साथ हरिश्चंद्र लौना 

झाँसी। उर्दू हिंदी साहित्य संगम झांसी के तत्वाधान में याद-ए-सरोश अंतरराष्ट्रीय मुशायरा का भव्य आयोजन  किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक डॉ० संदीप सरावगी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में शहर कोतवाल शैलेंद्र सिंह, अनीस अहमद और अब्दुल हमीद मौलाना उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एडवोकेट याकूब अहमद मंसूरी ने की।

B कार्यक्रम में जनपद और प्रदेश स्तर के शायरों ने बेहतरीन शायरी का प्रदर्शन कर कार्यक्रम में उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में शब्बीर अहमद सरोश की दो पुस्तकों पयाम-ए-सरोश और ये हैं शब्बीर अहमद सरोश का विमोचन भी अतिथियों द्वारा सामूहिक रूप से किया गया। कार्यक्रम में मेहमानी शायर के रूप में एजाज अंसारी, असरार चंदेरवी, हामिद अली अख्तर दिल्ली, राशिद अनवर, अहमद अयाज ओरछा, असर ललितपुरी, अजीम देवासी, वसीम झिंझानवी, दिलशेर दिल, इमरान कानपुरी, जयप्रकाश जय एवं मुकामी शायर ग्रुप में राजकुमार अंजुम, सरवर कमाल, इस्लाम नजर, अबरार दानिश, जावेद अनवर, नफीस झांस्वी उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉक्टर संदीप ने कहा झांसी हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है प्रथम स्वाधीनता संग्राम में रानी झांसी के साथ पठानों ने युद्ध में अपना बलिदान कर रानी झांसी का सहयोग किया था । मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ झाँसी में हम सभी के बीच  भाई  चारा बना रहे। कार्यक्रम का प्रबंधन डॉ० जलील बुरहानपुरी का रहा एवं संयोजक के रूप में सलीम रहबर एवं सहसंयोजक के रूप में अब्दुल जब्बार उपस्थित रहे। वहीं मुशायरा कमेटी से हाजी मुन्ना, इश्हाक खलीफा, इरशाद बद्दू उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में संजय राष्ट्रवादी, सलीम खानजादा, मुन्ना साहू, राजेश जैन, हाजी वाहिद, हाजिर रहमत, नाईफ अब्बासी, हबीबुर्रहमान, शशि भाई एवं रईस शहंशाह का विशेष योगदान रहा।

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