सामूहिक कन्या विवाह में डॉ० संदीप ने दिया सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद

राज्य

सनत बुधौलिया की रिपोर्ट

झाँसी। झरनापति महादेव, झरना गेट के तत्वाधान में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं 14 सर्वजातीय कन्या विवाह महायज्ञ आयोजन का दिनांक 1 फरवरी को समापन हुआ। 25 जनवरी से प्रारंभ होकर 31 जनवरी तक चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत कलश एवं शोभा यात्रा के साथ की गई। वृंदावन की भागवत कथाचार्या संस्कृति दीदी द्वारा निरंतर सात दिनों तक भागवत कथा का वाचन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक एवं जनपद के प्रतिष्ठित समाजसेवी डॉ० संदीप सरावगी एवं संयोजक के रूप में पंडित बलवीर रावत, महंत अलबेला सरकार, भाजपा नेत्री कविता शर्मा एवं संतोष श्रीवास उपस्थित रहे। सात दिवसीय इस कार्यक्रम में कलश यात्रा, शोभायात्रा, मंडप पूजन, अग्नि प्रवेश, वेद पूजन, 56 भोग, मटकी फोड़ बाल लीला, सुदामा कृष्ण मिलन एवं बुंदेली राई नृत्य का आयोजन किया गया। सात दिवसीय कार्यक्रम के पश्चात आज आठवें दिन 14 सर्वजातीय सामूहिक विवाह का आयोजन संपन्न हुआ जिसमें वर वधु को मंडप में बैठाकर मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत वैवाहिक रस्में में संपन्न की गई तत्पश्चात मंच पर सभी जोड़ों ने एक दूसरे को जयमाला पहनकर दांपत्य जीवन में प्रवेश किया। नवदम्पतियों को मोटरसाइकिल, डबल बैड, सोफा, अलमारी, किचिन सैट एवं स्त्रीधन का अंय सामान देकर विदा किया गया। इस अवसर पर जनपद के प्रतिष्ठित समाजसेवी डॉ० संदीप सरावगी ने वर वधु को आशीर्वाद देते हुए कहा प्राचीन समय से ही हमारे समाज में किसी भी अनुष्ठान को सामूहिक रूप से संपन्न करने की प्रथा चली आ रही है जब गांव में कोई शादी होती थी तो पूरा गांव मिलकर इसकी तैयारी करता था और वर पक्ष को उचित मान सम्मान देकर अपनी बहन बेटियों को स्त्रीधन अर्पित कर विदा किया जाता था। पाश्चात्य संस्कृति की चका चौंध में हम अपने रीति-रिवाजों को खोते जा रहे हैं आज विवाहों में वर और वधु पक्ष दोनों जगह आगंतुकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। सनातन धर्म के 14 संस्कारों में विवाह महत्वपूर्ण संस्कार है विवाह पति पत्नि ही नहीं बल्कि दो परिवारों का मिलन है। पति पत्नि अगर एक दूसरे की आवश्यकताओं को भली-भांति समझते हैं तो उनका दांपत्य जीवन सफल हो जाता है वहीं संस्कारों के अभाव में कई परिवार बिखर भी जाते हैं इसीलिए हर माता-पिता को अपने बच्चों में अच्छे संस्कारों का समावेश करना चाहिये। आज परिणय सूत्र में बंधे 14 नवदंपतियों को मैं सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद देता हूँ।  के समय में धन अभाव के कारण कई लोग अपनी बहन बेटियों का विवाह हर्षोल्लास के साथ नहीं कर पाते लेकिन इस प्रकार के आयोजनों से वे लोग भी धूमधाम से अपनी बहन बेटियों को विदा करते हैं ऐसे परिवारों का आशीर्वाद जीवन पर्यंत आयोजकों के साथ रहता है जो बुरे वक्त पर काम आता है।

इस अवसर पर सहयोगी के रूप में एड० मुकेश सिंघल, गोपाल नैनवानी, राधे राय, ज्योति स्वरूप बंसल, धर्मेंद्र पाखरे, अश्वनी कुमार, धर्मेंद्र प्रजापति, मुकेश साहू, विजय साहू, सभासद नितिन साहू, बद्री साहू, मुकेश सिंघल, अजय कोस्टा, राजा भईया पाल, सीमा विश्वकर्मा, मोहन पहलवान, संतोष सभासद, सीताराम श्रीवास एवं संघर्ष सेवा समिति से मास्टर मुन्नालाल, चंदन पाल, बसंत गुप्ता, राकेश अहिरवार, सुशांत गेड़ा, भरत कुशवाहा, मिथुन कुशवाहा एवं आशीष विश्वकर्मा आदि सम्मिलित रहे।

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