पवन कौरव, गाडरवारा
गाडरवारा शहर के बाशिंदों ने दुर्लभ कश्यप की कहानी सुनी ही होगी नहीं सुनी होगी तो गूगल करके देखिए दुर्लभ कश्यप और उसके कारनामों से कांपने वाला उज्जैन शहर ओर समूचा मध्यप्रदेश आज भी दुर्लभ कश्यप के नाम थरथराता है! दुर्लभ का अंत तो 2020 में ही हो गया लेकिन गाडरवारा शहर में बीते दिनों हुए मधुर चौरसिया नृशंस हत्याकांड ने शहर में दहशत का माहौल खड़ा कर दिया है! बढ़ते अपराध में शहर के लोगों की बढ़ती चुप्पियां शहर के बाशिंदों को कही दूसरा दुर्लभ कश्यप न दे दे । दुर्लभ कश्यप इसलिए कि ओशो के शहर में हुई इतनी बड़ी घटना के बाद लोगों के मुंह पर लगे तालों ने मानवीयता पर लग रहे ह्रास को बयां कर दिया है..? शहर के बीचों बीच बिक रही अवैध शराब, शहर में बढ़ता स्मैक का नशा, साहूकारों का चक्रवर्ती व्याज, अपराधियों का खुलेआम अपराध करना कल मधुर चौरसिया पर बीता तो कही कल आपके घरों से कोई मधुर देखने न मिले इसीलिए विरोध जरूरी है..? इतनी बड़ी घटना की उस बेटे को जिस मां ने खोया उसकी पूर्ति दुनिया की कोई चीज कोई कीमत अदा नहीं कर सकती । लेकिन शहरवासियों की चुप्पियों ने उस परिवार को अकेला छोड़ दिया और ये बताया कि उन्हें भी अपने शहर गाडरवारा में उज्जैनी दुर्लभ कश्यप की जरूरत है.? न सत्ता न विपक्ष सिवाय मीडिया के किसी ने इस घटनाक्रम पर खुलकर विरोध नहीं किया..? जबकि शहर बंद होना था एकमत विरोध होकर आपराधिक काम बंद होने थे..? पुलिस ने कार्यवाही की लेकिन उस शिकायत को कचरे में डालकर पुलिस ने बता दिया कि बिना घटना घटित हुए पुलिस केवल तमाशबीन बनी रहने के लिए है.? जिम्मेदारों ने समय पर सुध ली होती तो मधुर शायद आज उसी चाट चौपाटी पर बेखौफ होकर फुल्की खा रहा होता..? रातों रात होती कार्यवाही ने ये बताया कि यदि कोई घटना होगी तभी इस तरह की कार्यवाही देखने को मिलेगी अन्यथा खुली छूट मिलती रहेगी..? शहर के नेताओं ने औपचारिकता कर मामले से बचना उचित समझा वोटबैंक कि राजनीति ने उनको बौना बना दिया..? किसी जिम्मेदार नेता का खुलकर विरोध ओर अबतक कोई बयान सामने नहीं आया जो कह सके कि शहर में इस तरह के अपराधियों का बोरिया बिस्तर बांध दो..?