लोकेंद्र भुवाल
*बेमेतरा । जिला बेमेतरा के विकासखंड साजा से लगभग 25 किलोमीटर दूर पर ग्राम कोपेडबरी के जय माँ लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह में सभी महिला सदस्य है, सभी सदस्य गरीब परिवार से संबंधित है इस समूह की सभी महिला अपनी कृषि कार्य करके अपनी जीवन यापन करते है तथा उसी बीच में बिहान से सी आर पी राउंड में आई हुई थी और सभी दीदीयों को (बिहान) योजना के बारे में पूर्ण जानकारी बताएं सभी दीदी को योजना के बारे में जानकारी बहुत ही अच्छा लगा जिसमें अपनी उज्जवल भविष्य के लिए एक स्व सहायता समूह बनाने का निर्णय लिया गया और समूह गठन करके संचालित किया गया जिसका नाम सर्व सहमति से जय माँ लक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह रखा गया जिसका गठन 12 सितंबर 2020 में गठन किया गया।
*लखपति दीदी जया राजपूत नें समूह में जुड़ने से पहले की स्थिति एवं आय*
कृषि से आय 30000 वार्षिक, मजदूरी से आय 40000 वार्षिक, पुरे परिवार की कुल आय 70000 वार्षिक |
*समूह में जुड़ने के बाद की स्थिति एवं आय* कृषि से आय 50000 वार्षिक, कपड़ा दुकान से आय 550000 वार्षिक, पुरे परिवार की आय 600000 है।
*समूह में नहीं जुडने से पहले का विवरण:-*
श्रीमति जया राजपूत बताती है की जब मैं समूह में नहीं जुड़ी थी तो अपनी गांव में रोजी मजदूरी करके एवं मेरे पति पास की गांव थानखम्हरिया में दुसरे की कपड़ा दुकान मे काम करता था, उसी में अपनी जीवन यापन करते थे अपनी जरूरत सही से पूरा नहीं कर पाते थें। हमारी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी।
*समूह में जुड़ने के बाद का विवरण:-*
वर्ष 2020 में हमारे ग्राम पंचायत कोपेडबरी में बिहान से सीआरपी दीदी समूह बनाने के लिए आये उसी बीच में मैं भी बैठी थी उस दीदी का बात मुझे अच्छा लगा मैं अपने से 10 दीदी समूह में जुड़ने के लिए तैयार कि हूं और एक समूह का गठन की हूं | सभी की सहमति से समूह को एक नाम दिया नाम है जय माँ लक्ष्मी महिला स्वं सहायता समूह रखा गया तथा सभी के सहमति से मुझे अध्यक्ष के पद पर चयन किया इस समूह को संचालित करने के लिए बैंक ब्रांच बैंक ऑफ बड़ौदा, थानखम्हरिया में बचत खाता खुलवायें है। फिर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत हमारे समूह को पंजीकृत करवाए है फिर तीन माह बाद हमारे समूह का (RF) अनुदान राशि 15000 रू. प्राप्त हुआ फिर (CIF) राशि 60000 एवं आज तक बैंक लोन 9 लाख 50 हजार तक प्राप्त हुआ है। जिसमें से मैं स्वयं 5 लाख की राशि समूह के द्वारा बैंक से ऋण के रूप में लिया हूं। जिसमें से पास की थानखम्हरिया में एक किराये का मकान लेकर छोटा सा कपड़ा का दुकान खोला जिसमें मेरे पति हमारे व्यापार को चलाते है मैं भी बैठती हूं और धीरे से हर माह अपनी दुकान के आय से समूह का ऋण किस्त ब्याज वापसी करती हूं और खुद का भी खर्च चलाती हु समूह में जुड़कर आज मेरे भविष्य उज्जवल हो गया समूह से मुझे बहुत बडी सीख मिली साथ ही आत्म निर्भर होकर रोजगार चला रही हूं। मैं अपनी गांव में सक्रिय महिला का भी कार्य किया हूं अभी के डेट में मेरे पास दो कपड़ा दुकान किरायें की चला रही हूं।
*आगे अपनी भविष्य की सोच:-*
मुझे मेरे दुकान आने जाने में दिक्कत होती है मेरे गांव से 5 किलोमीटर की दुरी पड़ती है इस कारण में मैं थानखम्हरिया में जमीन लेकर खुद का मकान बनाने की सोच रखे है ताकि भविष्य में मैं अपनी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला पाउ और अपनी पति के साथ हमारे व्यापार में आगे चलाने में मदद कर संकू यही सोच है मेरे भविष्य में जिससे मैं अपनी जीवन की आवश्यकतानुसार पुरी कर संकु।