संजय दुबे
खेल ओर खिलाड़ी विषयो पर लेख लिखने से पहले उनके प्रदर्शन को देखना अनिवार्य होता है। इसे उनकी मेहनत को साकार होते देखा जा सकता है। आदमी, सामाजिक प्राणी है। परिवार, समाज में रहता है ।मनुष्य होने के कारण उसके मनोभाव दिखते है। किसी भी व्यक्ति में अपने या अपने परिवार के सदस्य को देखना साधारण बात है। इन दिनों पेरिस में पैरा ओलंपिक खेलों का आयोजन चल रहा है। ये खेल उन लोगो के लिए है जिनके सारे अंग नहीं है।वे संपूर्णांग न होकर विकलांग है। उनमें से अनेक खिलाड़ियों को देख कर मन द्रवित हो जाता है लेकिन अगले ही पल उनके प्रति सम्मान बढ़ जाता है ये सोच कर कि विपरीत परिस्थितियों में भी इन्होंने हिम्मत नही हारी। एक अंग न होने पर बहाना नहीं बनाया, कृपा के पात्र नहीं बने बल्कि खुद को ऐसे सांचे में ढाला कि आज करोड़ो अरबों लोग इनके प्रदर्शन पर तालियां बजा रहे है।
ऐसी ही एक सत्रह साल की बेटी है भारत की शीतल कुमारी। शीतल कुमारी के दोनो हाथ नही के बराबर है।इतने छोटे और अविकसित कि किसी वस्तु को पकड़ने की क्षमता दूर की बात है ,”गाल तक भी नहीं पहुंच सकते”(ये पंक्ति याद रखेगे, आगे इसी पंक्ति पर ही सारा दारोमदार है)
शीतल कुमारी, धनुर्धर है, अर्जुन, कर्ण और भीष्म परंपरा की महिला संस्करण है। जन्म से बिना हाथ की इस बालिका ने परिवार पर बोझ बनने के बजाय ऐसा रास्ता चुना जिसमे चलकर आज शीतल कुमारी एक ऐसी प्रेरणा बन गई है कि उनकी मिसाल करोड़ो पूरें अंग वाले व्यक्तियों को दी जा रही है।
पेरिस पैरा ओलंपिक खेलों में शीतल दो स्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थी। एक स्पर्धा में वे एक अंक से कांस्य पदक चूक गई और मिक्स डबल्स आर्चरी में एक अंक से कांस्य पदक राकेश कुमार के साथ जीत लिया।खोने का दुख और पाने का सुख दोनो भावनाओ को मैने शीतल के मनोभाव में देखा। खोने के दुख पर उन्होंने अपनेमी मनोभाव छुपा लिए थे लेकिन मिक्स डबल्स में कांटे के टक्कर के बाद सिर्फ एक अंक से मिली जीत की खुशी शीतल के आंखों से पिघल पड़ी। जिस जगह पर वे जीत हासिल की थी वहां उनके हाथ, आंसू रोकने के लिए नही थे,थे भी तो गाल तक पहुंच नहीं सके। इस व्यथा को देखना ही मार्मिक दृश्य था। अपनी मां से मिलकर वे रो पड़ी। ममता के मिलन का वह दृश्य भी दारुण था। भाव विह्वल कर देने वाला दृश्य। हम प्रेरणा के लिए बहुत आदर्श खोजते है।आप चाहे तो शीतल कुमारी से प्रेरणा ले सकते है,सम्पूर्ण होने के बाद । शाबाश, शीतल कुमारी, देश को गौरव दिलाने के लिए।आप सही में प्रेरणा स्त्रोत है।