रिपोर्ट–सन्तोष कुमार सोनी
बांदा- महिला चिकित्सालय बांदा के सभागार में आज विश्व स्तनपान सप्ताह के शुभारम्भ अवसर पर मां के पहले दूध के महत्व के सम्बंध में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। विधिक जागरुकता शिविर की अध्यक्षता श्रीपाल सिंह, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा की गयी।
सर्वप्रथम श्रीपाल सिंह, अपर जिला जज/प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा अपने सम्बोधन में कहा कि स्तनपान बच्चे के लिए सर्वोत्तम भोजन हैं और बच्चे की सभी जरुरतों को पूरा करता हैं। स्तनपान करने वाले बच्चे सर्वोधिक संतुलित आहार प्राप्त कर लेते हैं और उनमें सकंमण की सम्भावना बहुत कम हो जाती हैं केवल माँ के दूध में ही प्रोटीन आवश्यक वसायुक्त लवण, एण्टीबॉडी व बच्चें के मानसिक विकास के लिए आवश्यक विटामिन्स पाये जाते हैं। नवजात शिशुओं को मात्र स्तनपान कराने से ही कुपोषण और संक्रमण जैसे रोगों से बचाया जा सकता हैं। स्तनपान बच्चे के प्रसव के आधे घण्टे के अन्दर कराया जाना चाहिए। नवजात शिशुओं को न्यूनतम 06 माह तक स्तनपान कराया जाना अत्याधिक आवश्यक हैं।
अनिल कुमार श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला चिकित्सालय बांदा ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्तनपान करने वाले बच्चों को 06 माह की आयु तक पानी की कोई आवश्यकता नहीं होती हैं। माँ के दूध में ही बच्चों की आवश्यकता के अनुसार 04 माह तक पर्याप्त मात्रा में पानी होता हैं। बोतल व पेसीफायर का कभी भी इस्तेमाल नही किया जाना चाहिये।
श्रीमती सुनीता सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका महिला चिकित्सालय-बांदा द्वारा अपने सम्बोधन में कहा कि सीजेरियन सेक्शन से जन्म लेने वाले बच्चे को माँ की हालत ठीक होते ही 04 से 06 घण्टे में स्तनपान कराया जाना चाहिए। जन्म के बाद पहले कुछ दिनों तक पीले गाढ़े दूध कोलेस्ट्रॉम में प्रचुर मात्रा में विटामिन, एण्टीबॉडीज और सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं जो कि प्रत्येक नवजात शिशु के लिए आवश्यक हैं। इससे संक्रमण का प्राकृतिक रुप से बचाव होता हैं और शिशु का एनीमिया, केराटोमेलासिया जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों से भी सम्पूर्ण बचाव होता हैं।
श्रीमती रमा साहू प्रबन्धक वन स्टॉप सेण्टर-बांदा द्वारा अपने सम्बोधन में कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह प्रत्येक वर्ष नवजात बच्चों के लिए नियमित स्तनपान कराने पर जोर देने के लिए मनाया जाता हैं।
श्रीमती सुमन शुक्ला-पराविधिक स्वयं सेवक ने बताया कि यदि बच्चा 06 माह का हो गया है तो उसे माँ के दूध के साथ-साथ अन्य पूरक आहार जैसे मसली हुई दाल, दाल का पानी, उबला हुआ आलू, केला आदि दिया जाना भी आवश्यक हैं किन्तु यदि बच्चा अस्वस्थ्य हैं तो इसके पूर्व अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें किन्तु बच्चों को स्तनपान अवश्य कराते रहना चाहिए ताकि उसका शरीर उसे होने वाली बीमारियों से मुकाबला कर सके!
इस अवसर पर जिला महिला कल्याण विभाग, बांदा की ओर से प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में मनाये जाने वाले बालिका जन्मोत्सव के अन्तर्गत केक काटकर 10 नवजात बच्चियों को सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा श्रीमान श्रीपाल सिंह एवं सी०एम०ओ०-बांदा श्रीमान अनिल कुमार श्रीवास्तव व डा० सुनीता सिंह द्वारा उपहार भेंट किये गये।
इस शिविर में श्री राशिद अहमद डी.ई.ओ. के साथ अमन गुप्ता, सुश्री वैशाली व श्रोतागण उपस्थित रहे।