संतोष कुमार सोनी
बाँदा। कानपुर के सरकारी अस्पताल हैलेट में अव्यवस्था के चलते वहां के कुछ डॉक्टर मरीजो का जानवरो तरीके इलाज करते है परेशान व लाचार अभिभावकों से अवैध वसूली से भी नही हिचकते डॉक्टर। एक दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता खुद लाचार होकर अपने आंखों से डॉक्टरों की कार गुजारी देखते रहे। मिली जानकारी के अनुसार बाँदा जनपद के अतर्रा कस्बा निवासी संवाददाता उमाकान्त दीक्षित तहसील ब्यूरो अतर्रा / पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी मण्डल अतर्रा ने हैलेट अस्पताल के अधीक्षक को दिए गए प्राथना पत्र में उल्लेख करते हुए बताया कि जिला अस्पताल बाँदा से रिफर करते हुए मेरी पुत्री प्रिंसी दीक्षित उम्र लगभग 24 वर्ष को 26 मई 2024 दिन रविवार को शाम लगभग साढ़े चार बजे हैलेट अस्पताल कानपुर में एडमिट होने के बाद सुगर और बीपी से पीड़ित बच्ची का ब्लड लगभग हर एक घण्टे में तीन सिरिंज बहसी तरीके जहां से पाते थे वही से ब्लड निकालते थे।इसके अलावा जितनी भी बाहर से दवाइयां आती थी पूरा थैला दवाइयों का अपने पास ले जाते थे तथा मनमाफिक इलाज करते थे किसी से कुछ बताते नही थे। प्रिंसी दीक्षित के शरीर मे पहले लगभग 12 . कुछ पॉइंट ब्लड शरीर मे था जो ब्लड निकालते निकालते मात्र 4 पॉइंट ब्लड शरीर मे बचा था। डॉ अमृत लाल नाम का डॉक्टर प्रिंसी दीक्षित की माँ से मरीज को ठीक करने के बावत गुमराह कर रुपये भी ऐंठ लिए। 3 जून 2024 की रात्रि लगभग पौने दो बजे प्रिंसी दीक्षित ने अंतिम सांस लिया। मृत्यु के बाद घर लाने पर महिलाओ ने प्रिंसी दीक्षित के पेट तथा हाथो मे जगह जगह निशान देख के चौक गये। क्रिया कर्म के उपरांत प्रिंसी दीक्षित के चाचा श्रीकांत दीक्षित के द्वारा कानपुर हैलेट पहुँचकर वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक से लिखित शिकायत किया तथा जाँच व कार्यवाही की मांग किया। जिसपर वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक के द्वारा निष्पक्ष जांच कराए जाने की बात कही गयी।