आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सूखा एक बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। जिसकी गाथा जिला, प्रदेश व केन्द्र तक खबरों के माध्यम से सुर्खियां में बनी रहती थी। और इस कारण से यहां की 40 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों की जनता अपनी दो वक्त की रोटी और मूलभूत आवश्यकताओं के लिए घर पर बूड़े मां बाप व बच्चों को छोड़कर महानगरों में मजदूरी करने के लिए पलायन करने को मजबूर रहतीं हैं। जिसमें एक मुख्य कारण पूर्व सरकारों के समय पर नदियों में बेलगाम अवैध खनन से पैदा हुए जलसंसाधन की कमी। लेकिन केन्द्र व प्रदेश में भाजपा सरकार आने पर आश जगी थी कि सुधार होगा और माफिया राज व सिंडीकेट में लगाम लगेगी। जिसमें प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भरसक प्रयास कर 2017 में गद्दी संभालते हुए खनन कारोबार को ई टेंडर प्रक्रिया से खनन पट्टों की लीज पर अंवाटित करने का काम कर सिंडीकेट को प्रत्यक्ष रूप से समाप्त कर दिया। और अबैध खनन व ओवरलोडिंग की रोकथाम के लिए खनन नियमों में संशोधन कर इनकी निगरानी में हाई-फाई पी जेड कैमरे, धर्मकांटा व अन्य नियम कानून लागू किए। लेकिन उनका पालन खाली कागजों में सीमित रह गया। उसके उलट धरातल पर सभी नियम-कानून हवा हवाई साबित हो रहें हैं। जिसमें मुख्य भूमिका अदा करने वाले खनिज विभाग, परिवहन विभाग व राजस्व विभाग ने अपने कर्तव्य को खनन कारोबारियो के पास गिरवी रख कर सभी दावों की हवा निकाल दी है। जैसा वर्तमान समय में देखने को मिल रहा है। और एक अप्रत्यक्ष सिंडीकेट कुछ चुनिंदा पट्टाधारकों संचालकों व खनिज अधिकारी का जनपद में संचालित है पूरा मामला जनपद में संचालित खनन कारोबार से जुड़ा है । जहां खनिज विभाग की कार्यशैली से खनन कारोबारी बेलगाम होकर एनजीटी शर्तों व खनन परिवहन नियमों को तार-तार कर करोड़ों रुपए के राजस्व की लूट-खसोट लगातार जारी किए हैं। जिसमें खनिज, परिवहन व राजस्व विभाग की मौन सहमति से दिनों दिन जल संसाधनों की मौजूदा स्थिति मृत्युशैया में लेटने को मजबूर हो गईं हैं। नदियों से अधिक गहराई तक खुदाई होने से जलस्तर गिरता जा रहा है। और जलधारा भी जगह जगह पर टूट रही है। क्योंकि इस ब्यापार से होने वाली धनवर्षा में अपनी उपयोगिता के अनुसार जेबें भरने की होड़ में कहीं चूक ना हो जाएं इसलिए सबकुछ जानकर धृतराष्ट्र की राजनीति पर दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है। लेकिन उसमें ब्रैकर बने समाजसेवी, किसान संगठन, राजनैतिक दलों व मीडिया के विरोध प्रदर्शन, ज्ञापन व खबरें सुर्खियों में आने पर उच्चाधिकारियों व डीएम की सख्ती के बाद मन मसोसकर कर प्रयोजित कार्यवाही कर मामले की इतिश्री कर पीठ थपथपाई और होंसला अफजाई हो जाती हैं। जबकि खनन कारोबारी संजीव गुप्ता जैसे कारोबारियों के आगे उच्चाधिकारियों व डीएम की सख्ती भी बेईमानी साबित हो जाती है ।तभी तो मरौली खंड 5 व बरियारी खदान व साँडी (60) एवँ बेँदा में खनिज अधिकारी व दोयम दर्जा अधिकारी सबकुछ देख कर भी कार्यवाही से भागता नजर आ रहा है । कहीं उनकी मिलीभगत के राज ना बेपर्दा हो जाएं। इसीलिए खदानों में लगातार बेधड़क नियमों के विपरीत हैवीवेट मशीनरी से लगातार जारी खनन व ओवरलोडिंग को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इसके साथ ही खप्टिहा 356/1 में संचालित बालू खदान संचालक भी इसी तर्ज पर खनन कर रहे हैं। जहां खनिज अधिकारी को कोई भी एनजीटी शर्तों व ओवरलोडिंग का उलंघन नहीं दिखाई दे रहा है। जबकि वर्तमान समय में मरौली खंड 5, व बरियारी खदान साँडी (60) बेँदा में जारी अवैध खनन से जीवनदायिनी केन का मूल स्वरूप क्षतिग्रस्त होने के साथ ही जलीय जीवों का भी अस्तित्व समाप्त होने खतरा पैदा हो गया है तथा अभी विगत दिवस तापमान अधिक होने एवँ नदी की जलधारा छिन्न भिन्न होने की वजह से हजारों की तदाद मे मछलियां भी केन मे मर गयीं। ग्रामीण किसान, मजदूरों को अपने जीवन यापन के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ेगी।