आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा । बुंदेलखंड क्षेत्र के गोवंशों में कुपोषण एक सबसे बड़ी गंभीर समस्या है। जिसकी वजह से यहां का गौवंश हड्डियों का ढांचा मात्र खोखला शरीर लिए दिखाई पड़ते है।उनके शरीर के सारे तंत्र बिगड़ चुके होते हैं और वह कमजोर होकर अपनी चमक खोते हुए असमय कल कवलित हो जाते है। समस्या का कारण मुख्य रूप से इस क्षेत्र में पुआल की कटिया खिलाना है जिसमें कोई भी पोषक तत्व नहीं होता। उक्त बातें अतर्रा के उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ निर्मल गुप्ता ने गौशालाओं में संरक्षित पशुओ के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान बताई।उन्होंने इसके निदान के उपाय भी बताएं।
उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ निर्मल कुमार ने गौशालाओं में सुरक्षित गौवंश के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान पाया कि यहां पर गौशालाओं सहित निजी पशुपालक भी केवल पुआल की कटिया खिलाते हैं जिसमें कोई भी पोषक तत्व नहीं होता । इस क्षेत्र के किसान धान की पुआल को कई महीनो तक खुले में रख देते हैं जिसके कारण वह नमी सोख कर फंगल यानि टॉक्सिक हो जाता है और उसमें माइक्रो टॉक्सिन विकसित हो जाते हैं जिसके खाने से जानवरों को भूख न लगना, खाया हुआ न पचना, पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्म माइक्रोब्स का खत्म होना, पेट का एसिडिक को जाना, पाचन क्षमता क्षीण होना आदि लक्षण दिखते हैं ।अंततः उसकी त्वचा खुरदरी, कमजोर और चमक विहीन हो जाती है उसमें खून की भारी कमी होती है और वह हड्डियों का ढांचा मात्र रह जाता है और धीरे-धीरे मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। मिली जानकारी के अनुसार
डॉ निर्मल गुप्ता ने यह भी बताया की बुंदेलखंड के गौवांशो की कुपोषण की समस्या के निदान भी बताएं और कहा कि पुआल वाली कटिया खिलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए ।भूसे में चोकर, गुड़ , मिनरल मिश्रण व नमक मिलाकर खिलाया जाए। समय-समय पर खाने वाला सोडा, ईकोटास बोलस, रूमेन एफ एस बोलस पाउडर आदि खिलाया जाए और हर तीन महीने पर डी मार्मिंग की जाए अर्थात उन्हें पेट के कीड़े मारने की दवा दी जाए । लीवर व आयरन टॉनिक देकर उन्हें पौष्टिक भोजन दिया जाए जिसमें कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन और वसा आदि पोषक तत्व उन्हे मिल सके।