भगवान श्री राम और भरत जी का प्रेम को देखकर यहां की चट्टानेंं भी पिघल गई थीं और उनके चरण चिन्ह चट्टाने में उभर गए थे।
यहां हुआ था प्रभु श्रीराम और भरत का मिलाप, मध्य प्रदेश और उत्त्र प्रदेश की सीमा पर स्थित है यह अनोखा मंदिर
जीपी बुधौलिया की रिपोर्ट
भगवान राम चित्रकूट पहुंचे यहां कामतानाथ पर्वत पर ऋषि मुनियों के साथ प्रसंग किया।
आप चिन्हों का दर्शन करना चाहते है तो चित्रकूट के कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पहुंचना होगा।
यहां की मान्यता है कि राम को मनाने अयोध्या से भारत चित्रकूट आए थे।
धर्म की नगरी के नाम से मशहूर चित्रकूट में बनवास काल भगवान राम पत्नी सीता भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट आए थे। चित्रकूट में जाकर भगवान राम ने 12 वर्ष वनवास काल चित्रकूट के पर्वतों में बिताया था। भगवान राम प्रयागराज से चलकर चित्रकूट पहुंचकर पहले वाल्मीकि आश्रम गए थे। वहां वाल्मीकि ऋषि से मुलाकात कर अपने रहने का स्थान पूछा था।
उन्होंने कहा था कि “चित्रकूट गिरी करहु निवासु जहा तुम्हार सब भात सुपासू” यह चौपाई गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पर उल्लेख की है। भगवान राम चित्रकूट पहुंचे यहां कामतानाथ पर्वत पर ऋषि मुनियों के साथ प्रसंग किया।
यहां हुआ था प्रभु श्रीराम और भरत का मिलाप, मध्य प्रदेश और उत्त्र प्रदेश की सीमा पर स्थित है यह मंदिर । यहां हुआ था प्रभु श्रीराम और भरत का मिलाप, मध्य प्रदेश और उत्त्र प्रदेश की सीमा पर स्थित है मंदिर
भरत राम को मनाने चित्रकूट पहुंचे इनका जहां मिला हुआ उसे मंदिर को भरत मिलाप मंदिर के नाम से जानते हैं। अब 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है इसलिए अब इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया है। ऐसा नहीं है कि केवल अभी इस मंदिर में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं हालांकि भारत मिलाप मंदिर का एक अपना ऐतिहासिक महत्व पहले से बिरहा है लेकिन इन दोनों भक्तों की भीड़ ज्यादा लग रही है।
इस भव्य मंदिर में आकर इन चिन्हों का दर्शन करना चाहते है तो आप को चित्रकूट के कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पहुंचना होगा। परिक्रमा मार्ग की परिधि 5 किलोमीटर की है। प्राचीन मुखारविंद से भगवान कामतानाथ की परिक्रमा अगर आप शुरू करेंगे तो 1 किलोमीटर बाद उत्तर प्रदेश की सीमा लग जाएगी।
खोही गांव के पहले भारत मिलाप मंदिर पड़ता है। यहां की मान्यता है कि राम को मनाने अयोध्या से भारत चित्रकूट आए थे। मिलाप ऐसे हुआ कि देखने वाले देखते ही रह गए। भाई भाई का प्रेम देखकर यहां के पत्थर भी पिघल गए। बताते चले कि चित्रकूट के परिक्रमा मार्ग में बने भरत मिलाप मंदिर की यहां पहुच कर आप श्री राम भरत,लक्ष्मण और माता सीता के चरण के चिन्ह देख सकते हैं।