अवैध बालू खनन कर्ताओं द्वारा बर्बाद खेतों को देखने पहुंचे किसान नेता जलधारा में किया संकेतिक सत्याग्रह

राज्य

 

आत्माराम त्रिपाठी

बांदा/ मरोली खंड संख्या 5 के खनन कर्ताओं द्वारा बर्बाद किए गए किसानों के खेतों को मौके पर जाकर किसान नेता बलराम तिवारी मंडल अध्यक्ष भाo किo यूo (अराजनैतिक) द्वारा घटनास्थल पर पहुंचकर जाना समझा कि स्थानीय किसानों का किस कदर शोषण बालू माफियाओं द्वारा किया जा रहा है। चार दिवस पूर्व खनिज विभाग द्वारा कार्यवाही की शंका से प्रतिबंधित मशीनों पोकलेन जैसी भारी भरकम मशीनों के पैरो के तले किसानों की आशाओं की पूंजी उनके परिश्रम की गाड़ी कमाई सरसो की फसल के पर तौर पर उन्हें छोटे-छोटे पौधों के रूप में उनके बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए जैसे ही खेतो की मिट्टी से बाहर आई थी , कि मानवता के दुश्मनों द्वारा पोक लैंड मशीनरूपी दैत्यों के पैर रूपी लोहे के पहियों से कुचल दी गयी और निरीह किसान केवल मौखिक विरोध करके सशस्त्र गुर्गों के आगे कुछ ना कर सके।
इस बात की जानकारी होने पर किसान नेता बलराम तिवारी ने तत्काल पीड़ित किसानों से संपर्क किया, साथ ही उन्हें भरोसा दिलाते हुए गत दिवस *जिलाधिकारी को ज्ञापन देते हुए जिला प्रशासन को चेतावनी के रूप में चेताया कि पीड़ित किसानों के साथ अगर न्याय नहीं हुआ तो बहुत बड़ा किसान आंदोलन खड़ा कर देंगे* इसी क्रम में किसान नेता ने पीड़ित किसानों से संपर्क करते हुए घटना स्थल का दौरा करके नदी के जल पर खड़े होकर किसानों को भरोसा दिलाया कि यह प्रतीकात्मक आज का जल सत्याग्रह है।अगर प्रशासन को दिए गए एक सप्ताह में पीड़ित किसानों को मुआवजा न मिला तो भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) किसानों के पक्ष में जल सत्याग्रह से लेकर धरना आंदोलन करेगा उन्होंने खनन कारोबारियो द्वारा NGT की किसी भी गाइडलाइन का पालन न करने स्थानीय नागरिकों एवं खेतों में उड़कर आ रही मिट्टी साथ में बालू के कण जैसे प्रदूषित हवा से नागरिकों के स्वास्थ्य लेकर खेतों पर फसल के ऊपर एक धूल की चादर बन जाती है। जो एक प्रमुख कारण है यहां की फसलो में कम पैदावार के लिए, इससे स्थानीय किसान आर्थिक तौर पर बर्बाद हो रहे है, उस पर तुर्रा ये कि बालू माफियाओं द्वारा ट्रको में लोड की जाने वाली बालू पोक लैंड जैसी प्रतिबंधित मशीनो द्वारा कराए जाने से स्थानीय स्तर पर, स्थानीय लोगों के लिए पूर्व की भाति बालू भरने का रोजगार भी समाप्त हो जाने से भुखमरी की समस्या साथ ही जलधारा से छेड़छाड़ करने से भविष्य का तो पता नहीं परंतु वर्तमान में स्थानीय ग्राम चटगन के वासियों को पीने का पानी अपने गांव से 3 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम छेराव से लाना पड़ता है। इसकी वजह साफ है जो ग्रामीण पुरखों के समय से नदी के जल पर निर्भर थे किंतु जलधारा दूषित तो जाने की वजह से पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी उपलब्ध ना होने के कारण ग्राम छेराव वासियों को 3 किलोमीटर दूर से पीने के लिए पानी लाना पड़ता है यही काला सच है । गैर क्या अपने ही प्रांत से ही क्यों न आए हुए हो धनपशु बालू कारोबारीयो द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को दिया गया यह वह मानव निर्मित अभिशाप है जो स्थानीय लोगो की कई संतति तक भोगना पड़ सकता है।यही नहीं ट्रकों की धमाचौकड़ी से उडरही डस्ट से जंहा फसलों की उपज प्रभावित हो रही है वहीं उडरही डस्ट से प्रदूषित हो रहे वातावरण के चलते इसका मानव जीवन के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड रहा है जिसके चलते आम आदमी बिमारियों का शिकार हो रहा है पर इन सब समास्याओं से अनजान जिम्मेदार अपने आंख कान मूंदे बैठे हुए हैं जनता त्राहि मामि की आवाज लगा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *