आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
-
बांदा जल और जीवन एक-दूसरे के पूरक हैं। जहां जल है वहां जीवन है। यदि जल नहीं तो जीवन नहीं। जल से ही जीव-जन्तु पेड़-पौधों आदि की उत्पत्ति एवं विकास होता है। आज बढ़ती हुई जनसंख्या एवं औद्योगीकरण के कारण भूजल का दोहन अधिक हो रहा है। भूगर्भ जल के स्तर में धीरे-धीरे कमी आ रही है। प्रदेश में गिरते भूगर्भ जल स्तर में सुधार तथा भूगर्भ जल के नियोजित विकास एवं प्रबंधन के साथ भूजल से सम्बंधित समस्याओं के अध्ययन एवं भूजल संरक्षण हेतु जन जागरूकता के लिए 5 योजनाएं यथा-भूगर्भ जल सर्वेक्षण का विकास, आंकलन एवं सुदृढीकरण, शासकीय भवनों पर रूफटाप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना, भूजल संसाधनों की गुणवत्ता का अनुश्रवण एवं मैपिंग, भूजल जन-जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार तथा राज्य भूजल भवन की स्थापना तथा नये पीजोमीटर की स्थापना की नवीन योजनायें संचालित हैं। प्रदेश में भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबन्धन एवं विनियमन के दृष्टिगत उ०प्र० भूगर्भ जल (प्रबन्धन एवं विनियमन) अधिनियम-2019 लागू किया गया है।
प्रदेश सरकार भूजल के गिरते स्तर को सामान्य लाने के लिए सम्बंधित क्षेत्रों में वर्षा जल को रोकने के लिए बन्धियां / चेकडैम, बाँध, तालाब, पोखरों आदि का निर्माण कराकर जलस्तर बढ़ाने की योजनाएं संचालित की है। घरों तथा शासकीय भवनों में रूफटाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की योजना संचालित है। जिसके अन्तर्गत शासकीय भवनों एवं निजी घरों के छतों से आने वाले वर्षा के पानी को खोदे गये गड्ढों/ हार्वेस्टिंग प्रणाली में एकत्रित कर भूगर्भ जल रिचार्ज में अभिवृद्धि की जा रही है।
प्रदेश के डार्क घोषित विकास खण्डों में सरकार द्वारा बंधिया चेकडैम, तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है। भूगर्भ जल रिचार्ज में अभिवृद्धि हेतु स्थानीय नदी, नालों, एवं वर्षा के जलबहाव वाले स्थलों पर चेकडैम बनाकर वर्षा जल को रोकते हुए भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश में अब तक विभिन्न नदियों, नालों आदि पर लगभग 600 से अधिक चेकडैम बनाये गये हैं। पुराने चेकडैमो की
मरम्मत भी कराई जा रही है प्रदेश सरकार द्वारा वर्षा जल संचयन एवं भूजल संवर्द्धन के अन्तर्गत क्रिटिकल तथा अतिदोहित चयनित विकास खण्डों में भूजल संवर्द्धन, सिंचाई, मछली पालन, पशुओं के लिए पीने का पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने आदि कार्यों हेतु तालाबों का निर्माण / जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। तालाबों के पुनर्विकास एवं प्रबंधन हेतु 1 हे0 से 5 हेक्टेयर क्षेत्रफल तक के तालाबों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019-20 में 47.60 करोड़ रू० व्यय करते हुए 118 तालाबों का निर्माण कराया है तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 में 48 करोड़ रू० व्यय करते हुए 117 तालाबों का निर्माण / जीर्णोद्धार कराया गया है। वर्ष 2021-22 में 45 तालाबों का जीर्णोद्धार/निर्माण, करते हुए 11.44 करोड़ रुपये व्यय किये गये है। वर्ष 2022-23 में 12 से अधिक तालाबों का निर्माण किया गया। वर्ष 2023-24 में 167 से अधिक तलाबों का निर्माण/जीर्णोद्धार किया गया है। प्रदेश में लगभग 500 तालाबों के जीर्णोद्धार/निर्माण लघु सिचाई विभाग द्वारा कराया गया हैं। प्रदेश सरकार भूगर्भ जल के स्तर में वृद्धि करते हुए कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु कृत संकल्पित है।
प्रदेश सरकार द्वारा अटल भू-जल योजनान्तर्गत भू-जल प्रबन्धन हेतु बुंदेलखण्ड के 20 तथा पश्चिमी उ०प्र० के 6 विकास खण्डों कुल 26 विकास खण्ड चयनित करते हुए कार्य कराये जा रहे है। प्रदेश सरकार द्वारा अटल भूजल योजना प्रदेश के सभी जनपदों में लागू की गई है। इन 26 विकास खण्डों की कुल चयनित 550 ग्राम पंचायतों में वाटर सिक्योरिटी प्लान का विकास करते हुए क्रियान्वयन किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 तक योजनान्तर्गत 1396 अमृत सरोवर / तालाब निर्माण, 422 खेत तालाब, 1391 बन्धी निर्माण, 627 रेनवाटर हार्वेस्टिंग संरचनाएं, 380 चेकडैम निर्माण, 685 सोखपिट निर्माण, 11435 हेक्टेयर क्षेत्रफल का माइक्रोइरीगेशन प्रणाली तथा 11175 हेक्टेयर क्षेत्रफल का मल्विंग से आच्छादन किया गया है। उसी तरह वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस योजनान्तर्गत अमृत सरोवर/तालाब निर्माण जीर्णोद्धार 539, शासकीय/अर्द्धशासकीय भवनों पर रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली का स्थापना 1635, चेक डेम निर्माण 364, खेत तालाब 491, ब्लास्ट वेल 86, सोख पिट 2888, मेंडबंदी 1940, हेक्टेयर, सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप / स्प्रिंकलर कवरेज) 34518 हेक्टेयर, मल्विंग 1000 हेक्टेयर, भूमिगत पाइपलाइन 1400 आदि कार्य कराये जा रहे हैं।