अलौकिक और विस्मयकारी बड़ी पूजा में उमड़ा जनसैलाव

धर्म

अभिवादन एक्सप्रेस टीम

(अनुज दीक्षित,   राजेंद्र पांचाल  ,अरविंद कौशल)

कोंच।   तहसील कोंच में त्रिशाला ‘बड़ी पूजा’ का रोमांच भरा विस्मयकारी अनुष्ठान शनिवार को संपन्न हो गया। माँ हुल्का देवी की विदाई के इस तांत्रिक अनुष्ठान में आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ा कि हर तरफ मैया और लाला हरदौल के जयकारे गूंज रहे थे। आलम यह था कि सड़कों पर तिल रखने को जगह नहीं थी। हर 3 साल में आयोजित होने वाली माँ हुल्कादेवी की विदाई पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ की गई। मालवीय नगर स्थित लाला हरदौल मंदिर से मैया की विदाई की शोभायात्रा प्रारंभ हुई और दिनभर चल कर देर शाम उरई रोड स्थित माँ हुल्कादेवी मंदिर पर पहुंच कर समाप्त हुई। पूर्वजों की मान्यता है कि यह पूजा नगर व क्षेत्र को महामारी, अकाल और दुर्भिक्ष जैसी आपदाओं से बचाने वाली है। इस पूजा की शुरुआत बर्ष 1913 से तब हुई थी जब कोंच में महामारी फैली थी और लोगों की अकाल मौत हो रही थी। मैया की इस शोभायात्रा में माँ हुल्कादेवी के डोले (विमान) के आगे सैकड़ो घुल्लों पर देवी देवताओं की सवारी का दृश्य बेहद रोमांचकारी दिखाई दे रहा था।
शनिवार की सुबह लगभग 8 बजे से बड़ी पूजा की शुरुआती औपचारिकताएं प्रारंभ हो गई थी और घुल्लों को बुलाने के लिए आयोजन से जुड़े लोग निर्धारित स्थानों पर पहुंचने लगे थे। ढोल नगाड़ों के साथ लोग नईबस्ती में गंगाराम पटेल और धोबिन बऊ के यहां पहुंचे और उन्हें लेकर मालवीय नगर स्थित लाला हरदौल मंदिर पहुंच गए। महंत जी के यहां से विदाई की टिपरिया आई जिसे मैया के डोले में रखा गया। इसके बाद बेसन से निर्मित मां हुल्कादेवी की प्रतिमा को डोले में प्रतिष्ठापित कर तकरीबन शोभायात्रा प्रारंभ की गई। हालांकि यह तांत्रिक पूजा है जिसमें घुल्लों, गुनियाओं और ओझाओं की प्रधानता थी लेकिन इसमें समूचे नगर की समान आस्था के साथ सहभागिता बताती है कि पूजा पद्धति पर आस्था भारी पड़ी। चूंकि मैया की विदाई का यह आयोजन है सो इसमें विदाई की सभी रस्में निभाईं जाती हैं। धोबिन बऊ के यहां से सुहाग आता है और गंगाराम पटेल के यहां से डोला, जबकि टिपरिया महंत ब्रजभूषण दास के यहां से लाए जाने की परंपरा है। परंपरा यह भी है कि मैया के डोले को पहला कंधा महंतजी के परिवार का ही कोई सदस्य लगाता है तभी मैया की विदाई यात्रा प्रारंभ होती है। ‘बड़ी पूजा’ की स्थापित वर्जनाओं के अनुरूप महिलाएं बिना श्रृंगार किए खुले केशों के साथ अनुशासित ढंग से शोभायात्रा में शामिल रहीं। तकरीबन 4 किमी की इस विदाई यात्रा में सबसे आगे शरबत, दूध और मदिरा की तीन धाराएं अनवरत चल रहीं थीं। इन धाराओं के पीछे मान्यता है कि रास्ते में जो अदृश्य शक्तियां मिलती हैं वे अपने अपने भोज्य के अनुसार इन्हें ग्रहण करती हैं। मातारानी के विमान में जोते जाने वाले बकरे आगे आगे चल रहे थे। सागर चौकी तिराहे पर सेठ बद्री प्रसाद (सिकरी वाले) के लाला हरदौल के स्थान पर हुल्का मैया ने विश्राम किया, यहां हवन आदि का अनुष्ठान परंपरानुसार सेठ परिवार के सदस्य सक्षम सेठ द्वारा किया गया तदुपरांत डलिया और भेट अर्पित करने और आवश्यक अनुष्ठान संपन्न होने के बाद मैया का डोला पुन: यात्रा पर आगे बढ गया। विश्राम स्थल पर दिनेश खिल्ली वाले और लला देवगाँव वाले ने व्यवस्था संभाली| देर शाम मैया का डोला हुल्कादेवी मंदिर पहुंचा जहां उनके रथ में जुते बकरों को खेतों में छोड़ दिया गया, वहां पर वाराहों की बलि दी गई और नौ देवियों के 9 खप्पर फूल, गंगाजल, रक्त, नीबू, दूध, मदिरा, दही, शरबत एवं अंडों को भरकर मंदिर के पिछवाड़े खेतों में रख दिए गए। शोभायात्रा के दौरान लोगों में मैया के डोले में कंधा देने के लिए एक अजीब ही उतावलापन देखा गया। ग्रामीण अंचलों से सैकड़ों ट्रैक्टरों में भर कर लोग आए थे जो मैया की एक झलक पाने के लिए घंटों अपने अपने स्थानों पर जमे रहे। शोभायात्रा मे आयोजन समिति/लाला हरदौल मंदिर कमिटी के अध्यक्ष श्यामदास याज्ञिक, मंत्री नरेश वर्मा, मंदिर के पुजारी कन्हैयालाल सहित सैंकड़ों सदस्य शामिल रहे | यात्रा में सांसद नारायणदास अहिरवार,पूर्व केन्द्रीय मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा, विधायक मूलचंद्र निरंजन, जिला पंचायत अध्यक्ष घनश्याम अनुरागी, पालिकाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता सहित प्रदेश के पूर्व मंत्री हरिओम उपाध्याय, ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सत्येंद्र निरंजन शीलू, भाजपा अध्यक्ष सुनील लोहिया, विज्ञान सीरौठिया, सरिता वर्मा, आदि ने सम्मिलित होकर माता रानी की पूजा अर्चना की और माता रानी का डोला (विमान) अपने कंधे पर रख कर शोभायात्रा में साथ साथ चले।

पालिका द्वारा शोभायात्रा मार्ग पर व्यापक रूप से करायी गयी साफ़  सफाई
नगर पालिका परिषद द्वारा बड़ी पूजा शोभायात्रा को लेकर समूचे मार्ग पर व्यापक रूप से साफ़ सफ़ाई करायी गयी। लोक देवता लाला हरदौल मंदिर से लेकर माँ हुल्का देवी मंदिर तक करीब 3 किमी लंबे शोभायात्रा मार्ग पर पालिकाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता के निर्देशन और सफ़ाई निरीक्षक हरिशंकर निरंजन की देखरेख में सफ़ाई कर्मियों ने साफ़ सफ़ाई कर पानी का छिड़काव किया। सड़क के दोनों ओर चूना और ग्योरी डाली गयी। वहीं शोभायात्रा में भी तमाम सफ़ाई कर्मी अपने अपने पहचान पत्र गले में लटका कर मुस्तैद रहे।

शोभायात्रा में रही भारी पुलिस व्यवस्था, एएसपी रहे मौजूद, ड्रोन से हुई निगरानी
शोभायात्रा में आस्थावान हजारों महिलाओं पुरुषों और बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था से लेकर अराजकतत्वो पर पैनी निगाह रखने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल मुस्तैद रहा।
एसडीएम ज्योति सिंह, सीओ अर्चना सिंह, तहसीलदार वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, नायब तहसीलदार द्वय सुधीर कुमार, जितेन्द्र सिंह, कोतवाल अरुण कुमार राय, अतिरिक्त निरीक्षक नरेंद्र सिंह, एसएसआई अभिनाष मिश्रा सहित सभी चौकी प्रभारी महिला पुरुष कांस्टेबलों के साथ शोभायात्रा में शामिल रहे। इसके अलावा थाना कैलिया, नदीगाँव, एट, कोटरा, डकोर, कुठौद, रेंढर, चुरखी सहित जनपद के अन्य कई थानों का पुलिस बल और पीएसी बल भी शोभायात्रा में शामिल रहा। शोभायात्रा में ड्रोन से निगरानी की गयी। खुफिया टीम भी पूरे समय सक्रिय रही। दोपहर बाद अपर पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार वर्मा भी नगर में आ गए थे जो देर रात करीब 10 बजे तक रुके |

आधा सैकड़ा स्थानों पर बंटा भंडारा

शोभायात्रा में शामिल हजारों महिलाओं पुरुषों और बच्चों के लिए करीब आधा सैकड़ा से अधिक स्थानों पर पूड़ी सब्जी से लेकर हलुवा, चना, रसगुल्ला, लड्डू, बूँदी, फल आदि का वितरण किया गया। इसके अलावा कई स्थानों पर शर्बत, जलजीरा आदि बांटा गया। लाला हरदौल मंदिर बजरिया से लेकर उरई रोड स्थित हुल्का माता मंदिर तक जगह जगह रुक कर श्रद्धालुओं ने भंडारा प्रसाद ग्रहण किया। नहर किनारे स्थित बिजली घर पर विभाग द्वारा प्रसाद वितरित किया गया।

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