आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा। देश को आजाद हुये 77 वर्ष हो चुके है लेकिन एक गांव ऐसा भी है जों आज भी विकास की राह देख रहा है! जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार है और ग्रामीणों की जिंदगी दलदल में फंसी हुई है जी हां ग्रामीणों की जिंदगी बरसात के 4 महीने जिंदगी गांव में कैद हो जाती है और सारी दुनिया से संपर्क टूट जाता है क्यों कि यहां सड़क नही है और बरसात में आने जाने वाले रास्ते दलदल बन जाते है ऐसा ही एक मामला समाजसेवी शालिनी सिंह पटेल की अगुवाई में आधा सैकड़ा महिलाएं और पुरुष जिलाधिकारी कार्यालय बांदा अपनी व्यथा बताने पहुंच गए! ग्रामीणों ने बताया कि वों नरैनी क्षेत्र के नौगवां ग्राम पंचायत के अंश सुखारी के पुरवा से आये है मामला गांव में सड़क न होने का था! ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि सुखारी का पुरवा जंगली क्षेत्र में गांव बना हुआ है। वहाँ पर पहुँचने के लिये भाऊ सिंह के पुरवा से कच्चा रोड जाता है जिसकी लम्बाई 4 किमी० है। आजादी के 77 वर्ष बाद भी ग्रामीण दुःख भरी जिन्दगी जी रहे हैं आज तक पक्की सड़क नहीं बनी है। ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में गर्भवती महिलाओं तथा मरीजो को समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं मरीज को मुर्दों की तरीके से चारपाई पर लिटाकर ले जाने को मजबूर रहते हैं! क्योंकि दलदल भरे रास्ते में एंबुलेंस भी नहीं आ पाती जिसके कारण कई बार घटना भी घट चुकी है बीते पिछले वर्ष एक गर्भवती महिला को चारपाई पर लिटाकर कर ले जा रहे थे तो रास्ते में ही प्रशव हो गया लेकिन बच्चे को तो नहीं बचा सके ।