संजय दुबे
1932 से लेकर 1970 तक भारतीय क्रिकेट टीम को औसत दर्जे की टीम माना जाता था।विदेशों में जीत मृग मरीचिका थी। न्यूज़ीलैंड से एकात सीरीज भले ही जीत लिए थे लेकिन इंग्लैंड जिसे क्रिकेट की काशी कहा जाता है वहां जीत नहीं मिली थी। ब्लेक स्ट्रॉम कहे जाने वेस्ट इंडीज , ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतना मानो स्वप्न था। इसके चलते भारतीय क्रिकेट टीम को भाव नही मिलता था। 1971 में मुम्बई से एक ओपनर बल्लेबाज़ वेस्ट इंडीज दौरे के लिए सुनील गावस्कर का चयन हुआ। ये बल्लेबाज़ घरेलू क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन कर रहा था। वेस्टइंडीज दौरे में प्रदर्शन मैच में इस बल्लेबाज़ ने 125 रन की पारी खेला। पहले टेस्ट मैच में इस बल्लेबाज को जगह नही मिली लेकिन दूसरे टेस्ट के दोनो परियों में ये बल्लेबाज़ शतक की ओर बढ़ रहा था तब कप्तान अजीत वाडेकर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि ये शतक न बना सके। क्यो?
टोटका था कि अगर कोई बल्लेबाज पहले टेस्ट में शतक बना लेता है तो आगे शतक नही बना सकता था।
ईश्वर ने कप्तान की सुनी और ये बल्लेबाज 65 औऱ 67 रन बना कर आउट हो गया।
अगले 3 टेस्ट में वेस्टइंडीज के कैलिप्सो की धुन पर इस बल्लेबाज ने जो प्रदर्शन किया उसने क्रिकेट जगत को एक ऐसा कोहिनूर दिया जिसे क्रिकेट की दुनियां में पहला लिटिल मास्टर या सनी गावस्कर या सुनील गावस्कर कहा जाता है। सुनील गावस्कर ने 4 टेस्ट में एक दोहरा शतक, तीन शतक औऱ दो अर्धशतक की मदद से 772 रन बनाए। भारत ने पहली बार वेस्टइंडीज को उनके घर सीरीज जीता था
इस ओपनर बल्लेबाज़ ने विश्व के सबसे महानतम गेंदबाजों के पूरी टीम का सामना किया चाहे वह ऑस्ट्रेलिया के लिली टामसन हो या वेस्टइंडीज के गार्नर, होल्डिंग, रॉबर्ट्स, हो या न्यूज़ीलैंड के रिचर्ड हेडली या पाकिस्तान के इमरान खान हो या इंग्लैंड के इयान बाथम,। सबके सामने सुनील गावस्कर ने शतकीय पारी खेली। क्रिकेट जगत में डॉन ब्रैडमैन के सर्वाधिक शतक औऱ गैरी सोबर्स के सर्वाधिक रन का रिकार्ड सुनील गावस्कर ने ही तोड़ा था। सुनील गावस्कर टेस्ट इतिहास में सबसे पहले पांच अंक के दस हजार (10000) अंक को छुआ था। सुनील गावस्कर 1983 के विश्वविजेता भारतीय टीम के भी ओपनर बल्लेबाज़ रहे। 1985 में ऑस्ट्रेलिया में बेसन एंड हेज़ेज़ कप में सुनील गावस्कर कप्तान के रूप में भारतीय टीम को विजेता बनाया और संन्यास ले लिया।
क्रिकेट के मैदान से बल्ला छोड़ सुनील गावस्कर विशेषज्ञ के रूप में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने अनुभव को साझा किया। समाचार पत्रों में लेखन किया। आज वे विशेषज्ञ कमेंटेटर है जिन्हें अलग अलग वेशभूषा में हम मैदान में स्टार स्पोर्ट्स में देखते है।
क्रिकेट की दुनियां में सुनील गावस्कर इकलौते ओपनर बल्लेबाज़ है जिनके वीडियो को ओपनर्स को दिखाया जा कर सीखने को कहा जाता है। क्रिकेट का सबसे परफेक्ट शॉट – स्टेट ड्राइव लगाने के मामले में आज भी कोई बल्लेबाज़ बराबरी नही कर सका है। एक बार इंग्लैंड टीम के कप्तान से पूछा गया कि सुनील गावस्कर की बल्लेबाजी से ख़िलाडियो को क्या सीखना चाहिए। कप्तान का कहना था कि मैं अपनी टीम के ओपनर को स्लिप में खड़ा कर कहता हूँ कि सुनील गावस्कर के बल्लेबाज़ी को बस देखता रहे। आज सुनील गावस्कर 74 साल के युवा व्यक्तित्व हो रहे है। आप फिल्मों में अमिताभ बच्चन को जितना जानते मानते है ये चाहत किसी जमाने मे सुनील गावस्कर के लिए भी रही है। उनके जमाने मे भारतीय टीम डेढ़ बल्लेबाज़ों की टीम मानी जाती थी। एक सुनील गावस्कर बाकी पूरी टीम। बात है न।