शिव शर्मा
छुईखदान। लगभग चार वर्ष पहले 2020 में तत्कालीन दिवंगत विधायक देवव्रत सिंह के अथक प्रयासों और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी और विशेष अभिरूचि से दुर्ग जिला और राजनांदगांव जिले को जोड़नें वाले ग्राम दनिया से छुईखदान तक सर्वसुविधापूर्ण लगभग 27 किमी सड़क की स्वीकृति की सौगात क्षेत्रवासियों को मिली थी। समस्त शासकीय प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद उक्त मार्ग का श्रीगणेश हुआ और राह में पड़ने वाले ग्रामों में ग्रामीणों की जमीनें अधिग्रहित हुई। इन सबको लोगों नें सिर्फ इसलिए सहन कर लिया कि आज नहीं तो कल क्षेत्र में विकास का नया सवेरा उदय होगा और एक अच्छी सड़क की सुविधा उन्हें मिल सकेगी। ऐतिहासिक रियासतकालीन, मंदिरों से भरे धर्मपरायणों की नगरी में भी रोड के चौडी़करण को असमंजस बना हुआ हैं।
मार्ग जो इस शहर को स्पर्श करती है और अंतिम छोर तक पहुंचती है। अर्थात कंडरा, पारा जमात, पारा, राज महल चौक ,से लेकर बिजली आफिस तक रोड निर्माता फर्म की ओर से दोनों छोर पर बड़े बड़े आधे अधूरे गहरे नालियों का निर्माण तो करा दिया, लेकिन उन नालियों के निर्माण के साथ ही खुदाई कर दिए गए रोड़ की सुधि लेना ही शायद भूल गई है। जिसके चलते आज लगभग एक साल से नगर के लोगों का जीना मुहाल हो गया है। रोड़ के दोनों छोर पर देखनें से लगता है कि रोड अब चौड़ा होगा और चमचमाता हुआ होगा किंतु ऐसा कुछ हुआ नही।
कंडरापारा से लेकर बिजली आफिस तक सड़क निर्माण कार्य कराया जा रहा है। लंबे समय से निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिये जाने से अर्धनिर्मित सड़क का मलबा पूरे सड़क पर पसरा हुआ है. जिससे दुर्घटना होते रहती है। अधूरे सड़क निर्माण के कारण यहां धूल उड़ते रहती है। धूल इतनी अधिक उड़ती है कि पास से यदि कोई वाहन पार कर जाये तो सामनेवाले को काफी कठिनाई होती है
छुईखदान से दनिया तक इतनी महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण कार्य काफी प्रयास के बाद शुरू हुआ। लेकिन ठेकेदार की मनमानी और अधिकरियों की उदासीनता के कारण निर्माण कार्य अधूरा छोड़ कर ठेकेदार गायब है। इस सड़क पर न तो जल छिड़काव किया जा रहा है और न ही सड़क के चारों ओर पड़े पत्थरों को ही हटाया जा रहा है। आसपास के लोग काफी परेशान हैं। लेकिन वे फरियाद करे तो कहा करें।