प्रधान मंत्री बनाने वाला राज्य -उत्तर प्रदेश

राज्य

 

संजय दुबे 

आम धारणा है कि उत्तर प्रदेश राज्य में बहुमत पाने वाली पार्टी के लिए दिल्ली दूर नहीं होती है।इसकी पुष्टि भी इस बात से होती है कि देश के14 प्रधानमंत्रियों में से 9प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के लोकसभा क्षेत्र से जीत कर आए है। गुजरात, पंजाब, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ऐसे दीगर राज्य है जिन्होंने देश को प्रधान मंत्री दिए है
1.जवाहर लाल नेहरू – फूलपुर (उत्तर प्रदेश)
भारत में 1952में पहला लोक सभा चुनाव संपन्न हुए ।देश के पहले प्रधानमंत्री इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट (ईस्ट)और जोनपुर (वेस्ट) लोकसभा सीट से जीते। इस लोकसभा से दो सांसद चुने जाने थे। दूसरे सांसद मसूरियादिन थे।पंडित जवाहरलाल नेहरू को 2.33लाख और मसूरियादिन को 1.82लाख मत मिले थे। 195 में फूलपुर लोक सभा का जन्म हुआ लेकिन दो सांसद यथावत रहे।चुनाव में भी यही जोड़ी फिर जीती। इस बार जवाहर लाल नेहरू को 2.27लाख और मसूरियादिन को 1.98लाख मिले। 1962 को फूलपुर से एक सांसद का निर्वाचन तय हुआ तो नेहरू के सामने समाजवादी विचारधारा के प्रवर्तक राम मनोहर लोहिया सामने थे। जवाहर लाल नेहरु को 1.19लाख और लोहिया को 50.3हजार मत मिले। फूलपुर अकेला लोकसभा है जहां से भारत के सर्वाधिक अवधि याने 16 साल तक कार्य करने वाला प्रधानमंत्री बना है।
2.लाल बहादुर शास्त्री – प्रयागराज,(उत्तर प्रदेश)
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का लोकसभा क्षेत्र प्रयागराज पुराना इलाहाबाद था। 1957और 1962में लाल बहादुर शास्त्री ने क्रमशः 1.24लाख और 1.37लाख मत प्राप्त कर जीते। 1957लोकसभा चुनाव में और 1962में जनसंघ के रामगोपाल संघ को69हजार मतों से पराजित किया था। 3.इंदिरा गांधी – रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
लाल बहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद देश की तीसरी प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी बनी। इंदिरा गांधी 1967में रायबरेली लोक सभा चुनाव में1.44लाख मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बी सी सेठ को 92हजार मतों से पराजित किया था।1971के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) नाम की पार्टी से चुनाव लड़ी और के को मतों से हराया। 1977में जनता पार्टी के राजनारायण से इंदिरा गांधी चुनाव हार गई। आजादी के बाद इंदिरा गांधी पहली प्रधान मंत्री बनी जो चुनाव हार गई थी।
4 – मोरार जी देसाई – सूरत (गुजरात)
1977में देश में कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त माहौल बना और जनता पार्टी की विशाल बहुमत से जीत दर्ज किया। मोरार जी देसाई गुजरात के सूरत लोकसभा से जीत कर प्रधान मंत्री बने।
5 चरण सिंह – बागपत(उत्तर प्रदेश)
जनता पार्टी के दलदल में से बागपत लोकसभा सीट से1977में चौधरी चरण सिंह ने रामचंद्र विकल को 1.21लाख मतों से हराकर आए थे। कांग्रेस ने उनको बाहर से समर्थन भी दिया लेकिन सदन का सामना किए बगैर चरण सिंह साढ़े पांच महीने मे ही इस्तीफा देकर सदन में जाए बगैर भूतपूर्व हो गए।
इंदिरा गांधी – रायबरेली
तीन साल के अंतर में जनता पार्टी की अन्तरकलह के चलते 1980 में हुए चुनाव में इंदिरा गांधी दो लोकसभा क्षेत्र ,रायबरेली के साथ मेडक(आंध्र प्रदेश) लोकसभा से भी चुनाव लडी और दोनो जगह से जीत दर्ज किया। लेकिन रायबरेली से ही नेतृत्व किया।
6.राजीव गांधी -अमेठी(उत्तर प्रदेश)
1984में इंदिरा गांधी की असामयिक मृत्यु के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस की आंधी चली और इस अंधड़ में बड़े बड़े दिग्गज उड़ गए। राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से उनकी बहू मेनका गांधी चुनाव में उतरी।प्रधान मंत्री बनने वाले राजीव गांधी ने रिकार्ड3.15लाख मतों से जीत हासिल की। राजीव गांधी 1984के लोकसभा चुनाव में देश में सबसे अधिक मतों से जीतने वाले पहले प्रधानमंत्री भी थे।
7.विश्व नाथ प्रताप सिंह
– फतेहपुर(उत्तर प्रदेश)
1989का लोकसभा चुनाव जनमोर्चा नाम की नई पार्टी के जन्म का था। विश्वनाथ प्रताप सिंह नई उम्मीद के रूप में सामने आए थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हरि खिलाफ 1.22 मतों से जीते। जनमोर्चा भी अंतरकलह की भेट चढ़ गया।
8चंद्र शेखर -बलिया(उत्तर प्रदेश)
युवा तुर्क कहें जाने वाले चंदशेखर को मिला जुला समर्थन मिला और उनके हिस्से में भी प्रधानमंत्री पद आ गया। चंद्र शेखर उत्तर प्रदेश के बलिया लोकसभा से जगन्नाथ चौधरी को1.20लाख मतों से पराजित किया था।

9.नरसिम्हा राव-नांद्याल(आंध्र प्रदेश)
1991के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नरसिम्हा राव नांदयाल लोकसभा क्षेत्र से उप चुनाव में जीते उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के बंगारू लक्ष्मण को 5.80लाख मतों से हराया। नरसिंहराव चार लोक सभा हन्नमकोंडा, ब्रह्मपुर और रामटेक के अलावा नांदयाल लोकसभा से जीते थे।
10.अटल बिहारी बाजपेई लखनऊ(उत्तर प्रदेश)
1996में एक बार फिर गैर कांग्रेसी सरकार अस्तित्व में आई और इस बार अटल बिहारी बाजपेई प्रधान मंत्री बने। अटल की सरकार केवल13दिन ही चल सकी और बहुमत हासिल किए बगैर बाहर हो गए।
1996मे- अटल बिहारी बाजपेई लखनऊ से फिल्म कलाकार राजबब्बर को 1.20लाख मतों से हराकर लोकसभा में आए थे। 13दिन में ही अटल बिहारी बाजपेई भूतपूर्व हो गए
11- एच डी देवगौड़ा (कर्नाटक)
एच डी देवगौड़ा हासन सीट से पांच बार विजयी हुए थे। लेकिन जब प्रधान मंत्री बने तब वे राज्य सभा में थे।उनका कार्यकाल लगभग दस महीने रहा।
12 इंद्र कुमार गुजराल-जालंधर(पंजाब)
देवगोड़ा के हटने के बाद एक बार फिर मिक्सवेज सरकार बनी और गैर कांग्रेसी पार्टियों ने इंद्र कुमार गुजराल को प्रधानमंत्री बना दिया। गुजराल जालंधर से उमराव सिंह को 1.36लाख मतों से पराजित किए थे। वे भी ले देकर साल भर चले लेकिन ये सरकार भी गिर गई।
1999लोकसभा चुनाव
महज तेरह महीने में देश फिर मध्यावधि चुनाव में आ गया इस बार अटल बिहारी बाजपेई ने फिल्मों से जुड़े मुजफ्फर अली को1.24लाख मतों से पराजित किया।
13मनमोहन सिंह – राज्यसभा से प्रधानमंत्री
2004 मे भाजपा की शाइनिंग इंडिया योजना का बंटाधार हो गया। इस बार प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह। मनमोहन सिंह जननेता नहीं थे। वे राज्यसभा के जरिए निर्वाचित होकर आया करते थे। मनमोहन सिंह ने एक बार ही दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव लडे थे लेकिन भाजपा के वी के मल्होत्रा से तीस हजार मतों से 1999में चुनाव हार गए थे।
14- नरेंद्र मोदी -वाराणसी(उत्तर प्रदेश)
2014का साल 1977के बाद एक दल के बहुमत की सरकार का साल रहा। गठबंधन सरकार की अपनी मजबूरी होती है की मजबूरी से देश निकला और गुजरात के नरेंद्र मोदी वडोदरा और वाराणसी से चुनाव लडे। वडोदरा से मोदी 2014में सर्वाधिक 5लाख से अधिक मतों से जीते लेकिन जीतने के बाद वाराणसी के हो गए। 2019में भी नरेंद्र मोदी वाराणसी से को हरा कर दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ वापस आए। 2024के लोकसभा चुनाव में अगर वाराणसी से विजयी होकर अगर पुनः प्रधानमंत्री बनते है तो जवाहर लाल नेहरु और इंदिरा गांधी के बाद फूलपुर और रायबरेली के समान वाराणसी तीसरा शहर होगा जो अपने लोकसभा क्षेत्र से एक व्यक्ति को तीन बार प्रधानमंत्री बनवाने वाला शहर होगा। तुर्रा ये भी है कि फूलपुर, रायबरेली और वाराणसी उत्तर प्रदेश के ही शहर है

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