शिव शर्मा की रिपोर्ट
छुईखदान — राज्य में तम्बाकू युक्त गुटखा एवं पान मसाला को प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद गुटखा का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। ब्लॉक छुईखदान मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से गुटखे की बिक्री जारी है। गुटखा खाना और दूसरों को खिलाना अब फैशन बन गया है।
गुटखे के इस कारोबार में बड़े थोक विक्रेता शामिल हैं। अधिकांश छोटे-बड़े किराना दुकान समेत परचून की दुकानों में आसानी से लोगों को तम्बाकू युक्त गुटखा उपलब्ध है। पान की दुकानों में भी गुटखे की लड़ियां सजा के रखी जाती है। वहीं दूसरी ओर लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
*यहां से होती है सप्लाई*
शहीद नगरी छुईखदान शहर में बड़ी मात्रा में जर्दा गुटखा खपाया जा रहा है। किराना दुकान की आड़ में जर्दायुक्त गुटखा का अवैध कारोबार सालों से चल रहा है। बताया जा रहा है कि शहर में जर्दा गुटखा एक किराना व्यापारी के द्वारा सप्लाई किया जाता है। जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा की सप्लाई हो रही है।
*प्रतिबंध के बाद बिक्री नहीं रुकी, दाम बढ़े हुए हैं*
प्रतिबंध के बाद तंबाकूयुक्त गुटखे की बिक्री तो अब तक नहीं रुकी, बल्कि इनके दाम कम नही हुए है। इससे गुटका पाउच के थोक विक्रेताओं की चांदी हो गई है। चिह्लर दुकानदारों और पान ठेलों मे पहुंचते तक इसके दाम और बढ़ जाते है। इससे गुटखा के शौकीन लोगों को ज्यादा कीमत में खरीदना पड़ रहा है। हर जगह की इसकी बिक्री भी हो रही है।
*जेब हो रही खाली*
सरकार के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद भी पाउच में गुटखा की बिक्री हो रही है। फर्क सिर्फ यह आया है कि अब यह चोरी-छिपे और महंगी कीमत पर बिक रहा है। इसे गुटखा खाने वालों की मजबूरी समझें या फिर नशे की लत उन्हें चाहे जिस दाम में पुड़िया मिले मजबूरी में खरीद रहे हैं। इन्हीं सारी बातों का फायदा बड़े व्यापारी उठा रहे हैं। जो पाउच पहले 5 रुपये में फुटकर दुकानदारों द्वारा बेचा जाता था। वही पाउच 10 से 15 रुपये की मनमानी दाम लेकर बेचा जा रहा है। पान मसाला के इस गोरखधंधे में सबसे ज्यादा फायदा बड़े दुकानदारों का हो रहा है।मुनाफाखोरों के कारण आमजन को परेशान होना पड़ रहा है लेकिन इस ओर पुलिस और प्रशासन के अफसरों का ध्यान नहीं है। फिलहाल गुटखा-पाउच बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया है। किराना दुकानों से तो यह सामग्री बेची ही नहीं जा सकती। बावजूद इसके कुछ व्यापारी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। किराना दुकानों से खुलेआम पाउच-गुटखा बेचे जा रहे हैं। इनके मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। इनके सेवन के आदी लोग महंगे दाम पर भी ये सामग्री मजबूरी में खरीद रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में हर तरफ यही आलम है।
*अधिकारी झाड़ रहे अपनी जिम्मेदारी*
सरकार ने इन्हीं स्वास्थ्यगत समस्याओं की वजह से प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन चंद पैसों की लालच में दुकानदार खुलेआम मौत के इस सामान को बेच रहे है वहीं जिम्मेदार विभाग के अधिकारी भी सबकुछ जानने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं सवाल करने पर दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डालने लगते है