शिव शर्मा की विशेष रिपोर्ट
विद्युत अभियंता कल्याण संघ छत्तीसगढ़ ने प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को सुधारने हेतु मुख्यमंत्री महोदय के नाम पत्र लिखकर अवगत कराया कि छत्तीसगढ़ में विद्युत की कुल मांग 6157 मेगावाट है जबकि कंपनीका कुल उत्पादन 2980 मेगावाट है।संघ के प्रदेश अध्यक्ष एन आर छीपा प्रदेश सचिव चंद्रकांत साहू एवम कोषाध्यक्ष ने बताया कि उत्पादन और मांग के अनुसार वर्तमान में प्रदेश को 3177 मेगावाट बिजली की ओर आवश्यकता है, जिसकी पूर्ति मंहगे दर पर अन्य श्रोतों से क्रय कर की जा रही है इंजीनियरों का मानना है कि यह कमी अगले कुछ वर्षों में 8000 मेगावाट के ऊपर पहुंचने की संभावना है।
विद्युत अभियंता कल्याण संघ ने मुख्य मंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पूर्व विद्युत व्यवस्था लड़खड़ाई हुई थी ,कभी भी अघोषित कटौती होती रहती थी, राज्य निर्माण 2001 के समय राज्य में विद्युत उत्पादन 1360 मेगावाट था । वर्ष 2007 में 500 मेगावाट श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत कोरवा पूर्व,2013 में हसदेव ताप विद्युत गृह कोरवा पश्चिम से 500 मेगावाट का उत्पादन चालू हुआ तथा 2016 में जांजगीर चांपा में 1000 मेगावाट क्षमता का विद्युत ताप ग्रह परिचालन में आया इस प्रकार 2016 तक कुल उत्पादन 3500 मेगावाट हो गया। उस समय विद्युत व्यवस्था सुचारू रूप से चलने लगी थी किंतु उसके बाद उत्पादन में कोई बड़ोत्तरी नही हुई बल्कि 440 मेगावाट उत्पादन बंद कर दिया गया है यही कारण है कि वर्तमान विद्युत व्यवस्था प्रभावित होने लगी है तथा निकट भविष्य में आपूर्ति बड़ने के कारण विद्युत सप्लाई और अधिक प्रभावित होगी ऐसे में विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने की महती आवश्यकता है ऐसे में विद्युत व्यवस्था सुधारने हेतु सलाह देते हुए विद्युत अभियंता कल्याण संघ ने बताया कि पुराने पावर प्लांट का रिनोवेशन एवम सौर ऊर्जा तथा अन्य श्रोतों से विद्युत उत्पादन बढ़ाया जाना उचित होगा।