राम केवट की जीवंत लीला देख, दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

राज्य

 

कौशल किशोर विश्वकर्मा की रिपोर्ट

तिंदवारी (बांदा) ।     दुर्गा महोत्सव पर श्री रामलीला कमेटी के तत्वाधान में आयोजित 11 दिवसीय श्री रामलीला के पांचवें दिन उत्कृष्ट कलाकारों द्वारा दशरथ-कैकेई संवाद, राम वनवास तथा केवट संवाद की लीला का मंचन किया गया। लीला के जीवंत अभिनय ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
रामलीला के पांचवें दिन सोमवार की रात लीला देखने हेतु पूरा पांडाल खचाखच भरा रहा। एक बार सब सहित समाजा, राजसभा रघुराज विराजा। राजा दशरथ अपनी सभा में राम जी को राजा बनाने की चर्चा पर विचार कर रहे थे। सभी प्रजावासियों का मत लेते हुए राजा दशरथ ने राम जी को राजा बनाने की घोषणा की लेकिन समय का चक्र घूमा और देवताओं को लगा कि अगर राम जी राजा बन गए तो राक्षसों का विनाश तथा धर्म की रक्षा कैसे हो पाएगी।
अर्थात जिस हेतु स्वयं नारायण ने पृथ्वीतल मे अवतार लिया है वह पूर्ण नहीं हो पाएगा। इसलिए देवताओं की मंशानुरूप माता सरस्वती ने मंथरा की मति बदल दी। परिणामस्वरूप मंथरा के कहने पर महारानी ने राजा दशरथ से दो वचन ले लिए। जिसमें भरत को राज और राम को चौदह वर्ष का वनवास मांग लिया। पिता की आज्ञा को शिरोधार्य कर राम जी वनवास जाने को तैयार हो गए। उसी समय माता जानकी को जब यह समाचार मिला तो वह राम जी के साथ वन जाने का हठ करने लगीं और कहा कि हे प्रभु जैसे जल के बिना मछली जीवित नहीं रह सकती उसी प्रकार मैं आपके बनवास चले जाने पर यहां कैसे रह सकती हूं। जानकी जी की करुणामयी विनती को स्वीकार कर राम ने साथ ले चलने की हामी भर ली। उधर श्री राम को वनवास की सूचना पाकर लक्ष्मण जी सोचने लगे “मो कहु काह कहब रघुनाथा,रखिहै भवन कि लैहै साथा”। मुझे बड़े भइया साथ में ले चलेंगे या यहीं रखेंगे। यही विचार करते हुए भइया राम जी के पास चल देते हैं और राम जी के पास पहुंच कर उनसे विनम्रता पूर्वक कहते हैं कि हे प्रभु आप वन जा रहे हैं तो यह सेवक भी आपके साथ चलने की आकांक्षा कर रहा है। राम जी ने लक्ष्मण की विनती सुनते हुए कहा कि अस जिय जान सुनहु सिख भाई, करहु मातु पितु पर सेवकाई। अर्थात अपने हृदय में यह सीख जानते हुए माता पिता की सेवा करने के लिए कहा। उसी समय लक्ष्मण जी बोले कि हे महाप्रभु आपने मुझे सीख तो बहुत अच्छी दी लेकिन यह सीख मेरे लिए अगम है अर्थात पहुंच के बाहर है क्योंकि गुरू पितु मातु न जानौ काहू, कहहु स्वभाव नाथ पति आहू। ऐसा सुनकर राम जी ने लक्ष्मण को साथ चलने की हामी भर ली। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम निषादराज से मिलते हुए केवट के पास पहुंचे। इस अवसर पर केवट संवाद सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। केवट ने प्रभु के चरण पखारे और श्री राम, लक्ष्मण व माता सीता को गंगा के उस पार किया।
इस अवसर पर कमेटी प्रबन्धक आनंद स्वरूप द्विवेदी, अध्यक्ष अनिल कुमार लखेरा, महामंत्री अरविंद कुमार गुप्ता, हरवंश श्रीवास्तव, राजन गुप्ता, धीरज गुप्ता, मनीष बजाज, सीताराम गुप्ता, सुरेश प्रजापति, देवा सिंह, राहुल गुप्ता, निखिल गुप्ता, संतोष गुप्ता, गोविंद तिवारी, शिवम द्विवेदी, कृष्णा सोनी, शोभित कुशवाहा, अथर्व गुप्ता ने व्यवस्था संभाली।

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