पूर्व मुख्यमंत्री की पत्रकार वार्ता के स्थल व व्यवस्था को लेकर हो रही चर्चा

राज्य

शिव शर्मा की रिपोर्ट

राजनांदगांव । पत्रकार वार्ता में अव्यवस्था के साथ पत्रकारों के सम्मान में मान सम्मान का ख्याल तक नही रखने से पत्रकार जगत मे  नाराजगी जताई  गई है।
किसी भी राजनीतिक पत्रकार वार्ता में चाय नाश्ते की व्यवस्था अवश्य रहती थी। अच्छा सा मंहगा उपहार भी समय समय पर देने की पंरपरा रही है। अब होने वाली पत्रकार वार्ता में देखने मे यह आ रहा है कि चाय नाश्ता तो दूर की बात पीने के पानी भी नसीब नही हो रहा है ।यह कतिपय लोगो के कारण हो रहा है।अब कतिपय लोग कौन है।यह पत्रकार वार्ता करने वाला भी जानता है। आज की राजनांदगांव लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल की राजनीतिक पत्रकार वार्ता में अनुशासन नही होने से कई पार्टी कार्यकर्ता बिना वजह वार्ता मे घुस गये थे। इसमे कांग्रेस संगठन के नेता, कार्यकर्ता और वर्तमान दो विधायक भी पहुंचे थे। महापौर हेमा देशमुख भी मौजूद रही। आज की पूर्व सीएम व दिग्गज कांग्रेस नेता की पत्रकार वार्ता बिना चाय नाश्ते के निपटा दी गई। मीडिया से जुडे अधिकांश लोग आश्चर्य कर रहे थे कि इतनी छोटी जगह पर कैसी पत्रकार वार्ता हो रही है और पूर्व सीएम को ऐसी जगह पर कांफेस का सुझाव किसने दिया। प्रेस क्लब में कोई भी पत्रकार वार्ता बिना शुल्क के नहीं होती है। क्लब के पदाधिकारी गण को चाहिए था कि वे आने पत्रकारो के लिये कम से कम इतनी व्यवस्था तो अवश्य करते। खबर तो यह भी मिल रही है कि एक अच्छे होटल मे पत्रकार वार्ता कर पत्रकारो को चाय नाश्ता व उपहार की सलाह कांग्रेस के एक वरिष्ठ निष्ठावान नेता ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को दी थी परन्तु पूर्व सीएम व राजनांदगांव से लोकसभा प्रत्याशी ने पता नही किसकी सलाह पर ऐसे गलत स्थल व बिना चाय पानी की सूखी पत्रकार वार्ता की स्वीकृति दे दी। ऐसे आयोजन से कई तरह के सवाल खडे हो रहे है और पूर्व सीएम की पहली पत्रकार वार्ता मे बडी लापरवाही से आने वाले मैनेजमेट मे बडी गडबडी से इंकार नही किया जा सकता है क्योंकि खैरागढ़ उपचुनाव व राजनांदगांव विधानसभा के मिस मैनेजमेट से पत्रकारो सहित आम जनता के बीच अच्छा संदेश नही गया था।अब तो सीधे सीधे प्रदेश कांग्रेस के सबसे बडे चेहरे व पूर्व सीएम भूपेश बघेल का मामला स्वयं का है।ऐसे मे अब रणनीति के तहत मीडिया परसन से अलग अलग मुलाकात व वार्ता की पहल करनी चाहिये थी। पत्रकार वार्ता की चिंता किसी को ठेके पर देने की बजाय स्वयं पूर्व सीएम भूपेश बघेल को करने की जरूरत थी जैसे राष्ट्रीय कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा ने सांसद चुनाव लडने के समय की थी अन्यथा प्रत्याशी की सबके प्रति अच्छी सोच के बावजूद उनकी रणनीति को पलीता लगाने मे समय नही लगेगा। इस बारे मे पूर्व सीएम भूपेश बघेल को चिँतन मनन कर पहल करना चाहिये।

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