पशुओं में होने वाले रोग तथा रख रखाव एवं बचाव के उद्देश्य को लेकर ब्लाक सभागार में किया गया शिविर/गोष्ठी का आयोजन

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रिपोर्ट सोनू करवरिया
नरैनी
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत ब्लाक नरैनी की सभागार कक्ष में पशु पालकों को जागरूक किया गया ।पशुचिकित्सक ने पशुओं के बचाव एवं देखभाल और टीकाकरण के बारे में विस्तृत जानकारियां उपलब्ध कराई गई । नरैनी के
पशु चिकित्सक डॉ विजय कुमार कमल ने बताया कि 2025 तक एफएमडी को नियंत्रित करना और 2030 तक इसका उन्मूलन करना है।
एफएमडी और ब्रुसेलोसिस
खुरपका-मुंहपका रोग एक अत्यधिक संक्रामक वायरल है। यह रोग गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर आदि जैसे दो खुर वाले पशुओं में होता है। नैदानिक ​​और दृश्य लक्षणों में तेज बुखार भूख न लगना और सुस्ती, अत्यधिक लार आना, मुंह में पुटिकाएं विशेष रूप से मसूड़ों और जीभ पर जिसके परिणामस्वरूप अल्सर, खुर में अंतर-अंकीय स्थान में घाव हो जाते है।यह संक्रमित पशुओं के साथ निकट संपर्क, दूषित चारा खाने से फैलता है। एक बार पशु के संक्रमित हो जाने पर तत्काल उपचार संभव नहीं है। संक्रमित पशु को अलग करके लक्षणात्मक उपचार दिया जाता है।बार-बार सामूहिक टीकाकरण के द्वारा पशुओं को बचाया जा सकता है। बीमार होने पर तत्काल मोबाइल के जरिए टोल फ्री नंबर 1962 पर फोन करके सूचना दे।जिससे बीमार पशु का तत्काल इलाज किया जा सके।बताया कि इसी प्रकार से ब्रुसेलोसिस रोग जो मवेशियों और भैंसों का एक प्रजनन रोग है जो बैक्टीरिया ब्रुसेला एबॉर्टस के कारण होता है। इस बीमारी से बुखार, गर्भावस्था के अंतिम चरण में गर्भपात, बांझपन, देरी से गर्मी,आदि को बाधित करता है।ब्रुसेलोसिस रोग मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह रोग मनुष्यों में फैलने वाला है। प्रभावित मनुष्यों में उतार-चढ़ाव वाला बुखार, रात में पसीना आना, शरीर में दर्द और पीड़ा, भूख न लगना, वजन कम होना और कमजोरी हो सकती।बताया कि पशु पालक सरकारी अनुदान का फायदा उठा अधिक से अधिक दूध उत्पादन कर लाभ पा सकते है।इस मौके पर करतल पशु चिकित्साधिकारी डॉ अभिषेक, डॉ विष्णुकांत,पशु छोटे लाल करबरिया,वेद प्रकाश पांडे,केशव वर्मा,सहित तमाम पशु पालक मौजूद रहे।

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